आज की दुनिया गंभीर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रही है, और पारंपरिक ऊर्जा स्रोत इस समस्या को और भी जटिल बना रहे हैं। इस संदर्भ में, अक्षय ऊर्जा एक प्रभावी समाधान साबित हो सकती है। भारत ने अक्षय ऊर्जा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों के विकास के लिए कई बड़ी परियोजनाएं शुरू की हैं। प्रधानमंत्री ने सौर ऊर्जा को ‘सुनिश्चित, शुद्ध और सुरक्षित’ बताते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया है। अक्षय ऊर्जा उत्पादन में भारत अब दुनिया में चौथे स्थान पर है, और 2004 से हर साल 20 अगस्त को अक्षय ऊर्जा दिवस मनाकर इस क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाई जा रही है।
अक्षय ऊर्जा का उपयोग ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए एक आवश्यक कदम है। अक्षय ऊर्जा, जैसे कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, और भूतापीय ऊर्जा, प्रदूषण मुक्त और निरंतर नवीनीकरण योग्य स्रोत हैं। सौर ऊर्जा, जो सूर्य से प्राप्त होती है, एक असीमित स्रोत है और इसका उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना किया जा सकता है। भारत में सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता पिछले कुछ वर्षों में कई गुना बढ़ गई है, और पवन ऊर्जा में भी भारत अब चौथे स्थान पर है।
सरकार का लक्ष्य 2030 तक अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाना है और 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने का है। देश भर में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना से हर साल लाखों टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आने की संभावना है। इससे भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण को सहेजने में मदद मिलेगी।
अक्षय ऊर्जा का विकास आज की पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करता है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग जैसे गंभीर प्रभावों को देखते हुए, अक्षय ऊर्जा की दिशा में उठाए गए कदम अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारत की सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि, इसके प्रति जागरूकता अभियान और दीर्घकालिक लक्ष्य, जैसे 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता और 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन, देश की ऊर्जा जरूरतों को स्थायी और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित तरीके से पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति दर्शाते हैं। अक्षय ऊर्जा न केवल पर्यावरण को संरक्षित करती है बल्कि प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन को कम कर एक स्वस्थ और टिकाऊ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाती है। इस प्रकार, अक्षय ऊर्जा का महत्व और इसके कार्यान्वयन की आवश्यकता आज अधिक से अधिक स्पष्ट होती जा रही है।
Source- दैनिक जागरण