युवाओं में तेजी से बढ़ रही सोडा और एनर्जी ड्रिंक्स की खपत: स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी

saurabh pandey
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आज के दौर में सॉफ्ट ड्रिंक्स, सोडा, और एनर्जी ड्रिंक्स का बढ़ता उपयोग युवाओं के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। स्वादिष्ट और ताज़गी देने वाले इन पेय पदार्थों का आकर्षण जितना ज्यादा है, उतना ही इनका स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव भी घातक है। हाल ही में हुए कई शोधों से पता चला है कि युवाओं में चीनी युक्त पेय पदार्थों का सेवन खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है, जो आने वाले समय में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।

शोध के चौंकाने वाले आंकड़े

टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि पिछले 28 वर्षों के दौरान, 185 देशों के बच्चों और किशोरों में इन शर्करा युक्त पेय पदार्थों की खपत में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह अध्ययन 1990 से 2018 तक के आंकड़ों पर आधारित है और ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में प्रकाशित हुआ है। शोध से यह भी पता चला है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन देशों में, युवाओं में सोडा और अन्य मीठे पेय पदार्थों की खपत प्रति सप्ताह 9.1 सर्विंग तक पहुंच गई है। वहीं, मेक्सिको में यह खपत सबसे अधिक दर्ज की गई, जहां प्रति सप्ताह 10.1 सर्विंग तक की खपत पाई गई है।

शहरी और ग्रामीण युवाओं के बीच खपत का अंतर

अध्ययन से यह भी स्पष्ट हुआ कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले युवा इन पेय पदार्थों का अधिक सेवन कर रहे हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं में इसकी खपत तुलनात्मक रूप से कम है। इसके अलावा, जिन बच्चों के माता-पिता कम शिक्षित हैं, उनमें इन पेय पदार्थों का सेवन अधिक पाया गया है। यह प्रवृत्ति इस ओर इशारा करती है कि शिक्षा और जागरूकता की कमी भी इस समस्या के बढ़ने का एक बड़ा कारण है।

स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव

चीनी युक्त पेय पदार्थों का अधिक सेवन युवाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। इनमें मोटापा, टाइप 2 मधुमेह, दिल की बीमारियाँ, और दांतों की समस्याएं प्रमुख हैं। इन पेय पदार्थों में उच्च मात्रा में चीनी और कैलोरी होती है, जो बिना किसी पोषण के शरीर में ऊर्जा की अत्यधिक मात्रा जमा करती है। इसके परिणामस्वरूप, वजन बढ़ने के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं।

युवाओं को बचाने के लिए आवश्यक कदम

इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों और किशोरों में इन पेय पदार्थों के सेवन को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके लिए स्कूलों में पोषण शिक्षा को बढ़ावा देना, विज्ञापन और मार्केटिंग पर कड़ी निगरानी रखना, और इन पेय पदार्थों पर टैक्स लगाना जैसे उपाय प्रभावी साबित हो सकते हैं।

इसके अलावा, माता-पिता और अभिभावकों को भी बच्चों को स्वस्थ आहार की ओर प्रेरित करना चाहिए और उन्हें चीनी युक्त पेय पदार्थों से दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए। घरों में ताजे फलों का रस, पानी, और अन्य स्वस्थ पेय पदार्थों को प्राथमिकता देना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

भविष्य की पीढ़ी के लिए चिंता का विषय

युवाओं में सोडा और एनर्जी ड्रिंक्स का बढ़ता चलन न केवल वर्तमान स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा रहा है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिए भी एक गंभीर खतरा है। अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया, तो यह प्रवृत्ति एक बड़ी स्वास्थ्य आपदा का रूप ले सकती है। सरकार, स्वास्थ्य संगठनों, और समुदायों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि हमारे युवाओं का भविष्य सुरक्षित रह सके।

सोडा, एनर्जी ड्रिंक्स और अन्य शर्करा युक्त पेय पदार्थों का बढ़ता उपयोग हमारे समाज के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभर रहा है। समय की मांग है कि हम इस समस्या को समझें और इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। शिक्षा, जागरूकता, और सही आहार की आदतें इस समस्या से निपटने के सबसे प्रभावी उपाय हो सकते हैं।

Source- down to earth

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