कोविड-19 की तर्ज पर जल्द ही एक रैपिड टेस्ट किट से मुंह के कैंसर का पता लगाया जा सकेगा। अणुव्रत स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्रों ने इस विशेष किट को विकसित किया है, जो लार में मौजूद ट्यूमर के टुकड़ों से प्रोटीन में आए परिवर्तनों को पहचानने में सक्षम है। यह किट कैंसर के संकेतों को तेजी से और सटीक रूप से दर्शाती है। परीक्षण के दौरान यदि कैंसर से जुड़े प्रोटीन में बदलाव होता है, तो किट पर दो लाइनें उभरती हैं, जबकि सामान्य स्थिति में केवल एक लाइन बनती है।
फिलहाल इस किट के क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं, और अब तक के नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे हैं। यह इनोवेशन चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि कैंसर का शुरुआती चरण में पता चलना इलाज को अधिक प्रभावी बना देता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दिया नवाचार को बढ़ावा
शुक्रवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल और मेडिसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में इस रैपिड किट का प्रदर्शन किया गया। कार्यकारी निदेशक डॉ. फरहत ने कहा कि कैंसर के इलाज के साथ-साथ चिकित्सा सुविधाओं में सुधार जरूरी है और इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
छात्रा डॉ. जयंती कुमारी, जो इस किट के निर्माण में शामिल थीं, ने बताया कि फिलहाल मुंह के कैंसर की जांच मैन्युअल रूप से की जाती है, जिसमें सटीकता केवल 50-60% होती है। लेकिन इस रैपिड किट के माध्यम से 90% तक की सटीकता प्राप्त की जा रही है। किट का उपयोग कोई भी आसानी से कर सकता है, जिससे प्रारंभिक चरण में कैंसर का पता लगाना आसान हो जाएगा।
रैपिड किट के परीक्षण और भविष्य की उम्मीदें
वर्तमान में यह किट PGI चंडीगढ़, CCHRC असम और अन्य चिकित्सा संस्थानों में क्लीनिकल ट्रायल के दौर से गुजर रही है। इस परीक्षण में सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद इसे जल्द ही बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। सम्मेलन में कई और उत्पादों का भी प्रदर्शन किया गया, जो पर्यावरण और मरीजों के अनुकूल थे।
भारत में मुंह के कैंसर के बढ़ते मामले
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई कि हर साल 1.5 लाख से अधिक नए मामले मुंह के कैंसर के सामने आते हैं, जिनमें से 70% पुरुषों में होते हैं। तंबाकू और गुटखा का सेवन इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण है, लेकिन प्रदूषण और जीवनशैली में बदलाव भी इसके कारक हो सकते हैं। कैंसर की जल्द पहचान से इलाज के सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
दवाओं के प्रयोग पर सतर्कता की आवश्यकता
इस सम्मेलन में एंटीबायोटिक दवाओं के अनावश्यक उपयोग पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि कई पुरानी बीमारियां, जो पहले खत्म हो चुकी थीं, दवाओं के अंधाधुंध उपयोग के कारण फिर से उभर रही हैं। इसके साथ ही, कुछ बीमारियां अब उन क्षेत्रों में भी फैलने लगी हैं, जहां पहले उनका प्रकोप नहीं था। इसलिए दवाओं के जिम्मेदार उपयोग और रोग प्रबंधन के उपायों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
नवाचार से स्वास्थ्य क्षेत्र में नई उम्मीद
अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान और आरएमएल अस्पताल के निदेशक डॉ. अजय शुक्ला ने कहा कि इस तरह के नवाचार एशिया की स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शोध और प्रौद्योगिकी के माध्यम से चिकित्सा सुविधाओं में सुधार करना हमारा उद्देश्य है।
मुंह के कैंसर की पहचान के लिए तैयार की गई यह रैपिड टेस्ट किट स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है। शुरुआती पहचान से कैंसर के इलाज में सुधार होगा और मरीजों को समय पर उचित देखभाल मिल सकेगी। इस किट का सरल उपयोग और उच्च सटीकता इसे चिकित्सा क्षेत्र में बेहद उपयोगी बनाएगी। उम्मीद की जा रही है कि क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे होने के बाद, यह किट जल्द ही स्वास्थ्य सुविधाओं का हिस्सा बनेगी और मुंह के कैंसर के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने में मदद करेगी।