दिल्ली में इस साल मानसून ने अपने तेवर कुछ अलग ही दिखाए हैं। सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण दिल्लीवासियों को एक तरफ राहत मिली है तो दूसरी तरफ जलभराव और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ा है। खास बात यह है कि 1 जून से 11 अगस्त तक की गई बारिश का अधिकांश हिस्सा केवल आठ दिनों में हुआ है, जिसने 122 दिनों का सामान्य बारिश का कोटा पूरा कर दिया है।
मुख्य समस्या: जलभराव और ट्रैफिक जाम
दिल्ली की सड़कों पर जलभराव के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। प्रमुख सड़कों के अलावा रिहायशी इलाकों में भी पानी भर गया, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ। रविवार को हुई भारी बारिश के बाद दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे पर वाहनों का रेंगना लोगों के लिए बड़ी समस्या बन गया। शहर के निचले इलाकों में पानी के जमाव से स्थिति और भी खराब हो गई।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी और वास्तविकता
मौसम विभाग के पूर्वानुमान इस बार अपेक्षाकृत सही साबित नहीं हुए। 1 जून से 11 अगस्त तक दिल्ली की मानक वेधशाला सफदरजंग में 634.3 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि इस दौरान सामान्य बारिश 368.3 मिमी होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक बारिश होने के कारण जल प्रबंधन में खामियां सामने आई हैं, जिससे जलभराव और ट्रैफिक जाम की समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।
सिविक एजेंसियों की लापरवाही
दिल्ली में हुई इस भारी बारिश ने सिविक एजेंसियों की लापरवाही को भी उजागर कर दिया है। एक सर्वे के अनुसार, एनसीआर के 86 फीसदी लोग जलभराव से परेशान हैं, जिनका मानना है कि सिविक एजेंसियों की तैयारी में कमी के कारण उन्हें इन समस्याओं का सामना करना पड़ा। कई इलाकों में सड़कों पर जलभराव होने से वाहन फंस गए, जिससे लोगों को भारी असुविधा हुई।
दिल्ली में इस साल मानसून के दौरान हुई अत्यधिक बारिश ने शहर की व्यवस्थाओं को अस्त-व्यस्त कर दिया है। जलभराव और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं ने लोगों को मुश्किलों में डाल दिया है। सिविक एजेंसियों की तैयारी और जल प्रबंधन की खामियों को दूर करना अब जरूरी हो गया है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटा जा सके। मानसून का मौसम अभी बाकी है, ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
Source- दैनिक जागरण