राजस्थान का जैसलमेर, जिसे कभी सूखे और थार रेगिस्तान के लिए जाना जाता था, अब अप्रत्याशित रूप से बदल रहा है। एक दशक में बारिश के पैटर्न में आए बदलाव ने इस जिले की पहचान को ही बदल कर रख दिया है। कभी देश के सबसे शुष्क जिलों में शामिल जैसलमेर, अब सबसे अधिक बारिश वाले जिलों में गिना जाने लगा है।
जैसलमेर: शुष्क से सबसे अधिक बारिश वाला जिला
जैसलमेर, जो पहले कारगिल, लेह-लद्दाख, और तमिलनाडु के अर्धशुष्क जिलों के बाद सबसे कम बारिश वाले जिलों में गिना जाता था, अब इस सूची में सबसे आगे निकल रहा है। 2024 के मानसून सीजन में अब तक जैसलमेर में 134 प्रतिशत अधिक बारिश हो चुकी है। सामान्य तौर पर एक जून से 11 अगस्त तक यहां 110.8 मिमी बारिश होती थी, लेकिन इस साल यह आंकड़ा 259.9 मिमी तक पहुंच गया है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जैसलमेर में बदलाव की शुरुआत
पिछले कुछ वर्षों में जैसलमेर के मौसम में अचानक आए इस बदलाव का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन माना जा रहा है। 2015 से जैसलमेर में बारिश की प्रवृत्ति में बड़े बदलाव देखे गए हैं। उस साल सामान्य से 90 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई थी। इसके बाद 2017 में भी सामान्य से 43 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। यह बढ़ती बारिश का सिलसिला 2024 तक जारी रहा, जिससे जैसलमेर जैसे शुष्क जिले में भी बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।
जैसलमेर का नया रूप: अब बारिश के साथ जीने की आदत
जैसलमेर के लोग, जो कभी सूखे और पानी की कमी से जूझते थे, अब बाढ़ और भारी बारिश से निपटने के उपायों पर विचार कर रहे हैं। सोनार किले की दीवार का ढहना इस बदलते परिदृश्य का एक स्पष्ट उदाहरण है। एक समय में, जहां पूरा साल 182 मिमी बारिश का आंकड़ा मुश्किल से छूता था, वहीं अब मात्र कुछ महीनों में ही इस सीमा को पार कर लिया गया है।
क्या जैसलमेर का रेगिस्तान खत्म हो जाएगा?
हालांकि, जैसलमेर का रेगिस्तान पूरी तरह से खत्म हो जाएगा, ऐसा कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि यहां के जलवायु में आए बदलाव ने इस क्षेत्र की प्रकृति और यहां के लोगों की जीवनशैली को पूरी तरह बदल दिया है। अब जैसलमेर को एक नए रूप में देखा जा सकता है, जहां रेगिस्तान के बीच बारिश की बूंदें एक नई कहानी लिख रही हैं।
जैसलमेर में हाल के वर्षों में बारिश की बढ़ती प्रवृत्ति ने इसे देश के सबसे अधिक बारिश वाले जिलों की सूची में ला खड़ा किया है। यह बदलाव केवल एक जलवायु परिवर्तन का परिणाम नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। जैसलमेर का यह नया रूप हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और उनसे निपटने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता की याद दिलाता है।