भारत के उत्तर में स्थित पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मौसम ने फिर से करवट ली है। मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ के चलते इन राज्यों में अगले दो दिनों के भीतर भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। मानसून की इस सक्रियता से कई क्षेत्रों में राहत की उम्मीद जगी है, लेकिन इसके साथ ही कुछ चिंताएं भी सामने आई हैं।
मानसून का उतार-चढ़ाव
इस साल मानसून ने अगस्त में जमकर बारिश की, लेकिन सितंबर की शुरुआत में इसकी गति धीमी पड़ गई थी। विशेषज्ञों के अनुसार, आमतौर पर 24 सितंबर तक मानसून की विदाई हो जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं दिख रहा है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव का कहना है कि फिलहाल हिमाचल प्रदेश में बारिश की संभावना बनी हुई है, और इस क्षेत्र में कई जगहों पर पहले ही बारिश के बादल छा चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश में मौसम की स्थिति
हिमाचल प्रदेश में बारिश के अभाव में पिछले कुछ दिनों से तापमान में वृद्धि देखी गई है। राज्य के कई क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है। उदाहरण के लिए, ऊना में तापमान 38.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जो कि गर्मी की तीव्रता को दर्शाता है। इसके विपरीत, शिमला और उसके आसपास के क्षेत्रों में मौसम में ठंडक बनी हुई है, जिससे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को थोड़ी राहत मिली है।
उत्तराखंड में परिवर्तन
उत्तराखंड में पिछले एक सप्ताह से मौसम शुष्क था, लेकिन अब वहां भी मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। देहरादून सहित कई पर्वतीय जिलों में मंगलवार से हल्की बारिश की उम्मीद जताई जा रही है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश होने की संभावना है, जिससे सरकार ने येलो अलर्ट जारी किया है।
जल संकट की चिंता
हालांकि, उत्तर भारत के कई हिस्सों में बारिश की यह स्थिति राहत देने वाली है, वहीं बिहार में जल संकट की गंभीर समस्या बनी हुई है। पिछले 24 घंटों में नदियों और तालाबों में डूबने से 24 लोगों की मौत हो गई, जिसमें मां-बेटी की एक त्रासदी भी शामिल है। यह घटना समाज के लिए एक कड़ी चेतावनी है कि हमें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।
प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सजगता
यह सभी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते प्राकृतिक आपदाएं अब एक नियमित घटना बन गई हैं। हमें न केवल मौसम की चेतावनियों के प्रति सजग रहना चाहिए, बल्कि हमें तैयारियों और उपायों को भी गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसे समय में स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे लोगों को उचित जानकारी और संसाधन प्रदान करें।
हिमाचल और उत्तराखंड में आने वाली बारिश एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि हम इन प्राकृतिक घटनाओं से निपटने के लिए अपनी तैयारी को मजबूत करें। जल संकट और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए सरकारों को ठोस योजनाएं बनानी होंगी। इसके साथ ही, नागरिकों को भी जागरूक रहना होगा और आवश्यक कदम उठाने होंगे। प्राकृतिक आपदाओं के इस दौर में, हमें एकजुट होकर तैयार रहना चाहिए ताकि हम सुरक्षित और स्वस्थ रह सकें।
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आगामी बारिश के संकेत प्राकृतिक संतुलन को पुनर्स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं, लेकिन यह हमें जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों के प्रति सजग रहने की भी याद दिलाते हैं। प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम किस तरह से अपनी तैयारी को और मजबूत कर सकते हैं।
यह आवश्यक है कि राज्य सरकारें और स्थानीय प्रशासन नागरिकों को सही जानकारी और संसाधन उपलब्ध कराएं, ताकि वे संभावित खतरों का सामना कर सकें। इसके अलावा, हम सभी को जल संकट और अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
सिर्फ बारिश ही नहीं, बल्कि इससे जुड़ी चुनौतियों का भी हमें सामना करना होगा। इसलिए, जब हम आने वाली बारिश का स्वागत करते हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम सुरक्षित और तैयार रहें। एकजुट होकर, हम प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ, सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
Source- dainik jagran