उत्तर प्रदेश सरकार ने गंगा के मैदानी इलाकों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आठ राज्यों की एक समन्वय समिति गठित करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है। यह समिति केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में काम करेगी। समिति में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, बिहार, और पश्चिम बंगाल के अधिकारी शामिल होंगे।
समन्वय समिति की भूमिका और महत्व
वायुमंडलीय प्रदूषण से गंगा के मैदानी इलाके विशेष रूप से प्रभावित होते हैं, खासकर सर्दियों के दौरान जब तापमान गिरता है और हवा की गति धीमी हो जाती है। इस कारण से वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है, जो क्षेत्र के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन जाता है।
उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने केंद्र सरकार को एक पत्र भेजकर समन्वय समिति गठित करने का अनुरोध किया है, ताकि इन राज्यों में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए एक संयुक्त प्रयास किया जा सके।
एयर शेड पर आधारित स्वच्छ वायु कार्य योजना
राज्य सरकार ने इस पत्र में उल्लेख किया है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एयर शेड स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। “एयर शेड” वह क्षेत्र होता है, जो वायु प्रदूषण से प्रभावित होता है, और इसमें प्रदूषण के कारणों की पहचान कर उसे नियंत्रित करने के कदम उठाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्व बैंक के तकनीकी सहयोग से “उत्तर प्रदेश स्वच्छ वायु कार्य योजना” तैयार की है, जो इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए राज्यों के बीच समन्वय और सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर गंगा के मैदानी इलाकों में स्थित राज्य मिलकर काम करें, तो स्वच्छ हवा की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रस्ताव इस दिशा में एक सकारात्मक पहल है, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या को प्रभावी ढंग से हल किया जा सकता है।
गंगा के मैदानी इलाकों में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आठ राज्यों की समन्वय समिति गठित करने का प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल प्रदूषण को क्षेत्रीय स्तर पर नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है, खासकर सर्दियों में जब वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है।
समन्वय समिति की स्थापना से विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग और संसाधनों का साझा उपयोग संभव होगा, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार और स्वच्छ हवा की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकेगी। उत्तर प्रदेश द्वारा तैयार की गई ‘स्वच्छ वायु कार्य योजना’ और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के साथ सहयोग इस दिशा में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होंगे।
समन्वय समिति का गठन प्रदूषण नियंत्रण के लिए एक सशक्त रणनीति का हिस्सा है, जो वायु प्रदूषण से प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य और जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करेगा।