प्रोजेक्ट चीता: संकट से उबरकर नए मुकाम की ओर, नई खेप अक्टूबर-नवंबर तक

saurabh pandey
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शुरुआती झटकों के बाद प्रोजेक्ट चीता अब संकट से उबर चुका है। देश में न सिर्फ चीतों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि वे यहां के माहौल में पूरी तरह रच-बस भी गए हैं। यही वजह है कि अब अफ्रीकी देशों से चीतों की नई खेप लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। संकेतों के मुताबिक, यह नई खेप केन्या या दक्षिण अफ्रीका से लाई जाएगी और तेंदुओं की नई खेप अक्टूबर-नवंबर तक आ सकती है।

2022 में शुरू हुए चीता प्रोजेक्ट के तहत अगले पांच साल में 50 चीते लाए जाने हैं। इनमें से 8 चीते 2022 में नामीबिया से और 12 चीते 2023 में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए। अब तक 20 तेंदुए लाए जा चुके हैं, जिनमें से 7 की मृत्यु हो चुकी है। फिलहाल 13 तेंदुए जीवित हैं और उनकी प्रगति परियोजना के अधिकारियों और वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए महत्वपूर्ण है।

नई खेप की तैयारी

अफ्रीकी देशों से चीतों की नई खेप इस साल भी आने वाली है। भारत ने पिछले साल ही अफ्रीका के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत वह भारत को पर्याप्त तेंदुए देने पर सहमत है। मालूम हो कि केन्या ने 1980 में भी भारत को तेंदुए देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उस समय एशियाई तेंदुओं को लाने का विचार था, जो उस समय ईरान में थे।

मध्यप्रदेश या राजस्थान में चीतों का नया घर

वर्तमान में तेंदुओं का एकमात्र घर मध्यप्रदेश का कूनो अभ्यारण्य है। आने वाले तेंदुओं के नए जत्थे को दूसरे अभ्यारण्य में रखा जाएगा, क्योंकि कूनो में 25-30 तेंदुओं को रखने की ही क्षमता है। नई खेप के लिए मध्यप्रदेश का नौरादेही और गांधी सागर अभ्यारण्य और राजस्थान का भैंसरोड़गढ़ अभ्यारण्य संभावित स्थान हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, कूनो में रखे गए तेंदुए अब राजस्थान के समीपवर्ती अभ्यारण्यों में दस्तक दे रहे हैं। वर्तमान में कूनो में तेंदुओं की संख्या 27 हो गई है, जिनमें 13 वयस्क और 14 शावक शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी वन्यजीव को बसाने या विकसित करने के लिए उनकी संख्या सौ के आसपास होनी चाहिए।

केन्या को प्राथमिकता

सूत्रों का कहना है कि इस बार चीतों की नई खेप लाने में केन्या को प्राथमिकता दी जा रही है, क्योंकि केन्या की जलवायु भारतीय वन्यजीव अभ्यारण्यों से मिलती-जुलती है। साथ ही, वहां चीते खुले में रहते हैं, जो उन्हें भारतीय वातावरण में आसानी से समायोजित होने में मदद करेगा।

प्रोजेक्ट चीता की सफलता न केवल भारत में तेंदुओं की संख्या बढ़ाने में सहायक है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। भविष्य में चीतों की नई खेप और उनकी सही देखभाल से यह परियोजना और भी सफल हो सकती है, जिससे देश में वन्यजीवों की विविधता और संरक्षण में वृद्धि होगी।

source and data – दैनिक जागरण

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