भारत के महानगरों और शहरी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति प्रणाली एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। देश के विभिन्न हिस्सों में, विशेष रूप से दिल्ली, फरीदाबाद, और संगम विहार जैसी जगहों पर, निजी पानी के टैंकरों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। यह स्थिति देश की जल आपूर्ति प्रणाली में मौलिक समस्याओं को उजागर करती है और स्पष्ट करती है कि भारत को अपने केंद्रीकृत पाइप नेटवर्क को नए सिरे से परिकल्पित करने की आवश्यकता है।
फरीदाबाद की जल आपूर्ति संकट
हरियाणा के फरीदाबाद जिले के पाली गांव में स्थित बोरवेल्स, जो दिन-रात चालू रहते हैं, स्थानीय टैंकरों को पानी की आपूर्ति कर रहे हैं। इन बोरवेल्स से निकाले गए पानी को टैंकर 20,000 से 30,000 लीटर तक के बैचों में बेचते हैं। यह पानी आमतौर पर अनधिकृत कॉलोनियों और न्यू इंडस्ट्रियल टाउनशिप में वितरित किया जाता है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि टैंकर संचालक बोरवेल मालिकों को प्रति 3,000 लीटर पानी पर 300 रुपए चुकता करते हैं और इसे 600 रुपए में बेचते हैं, जो कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क से लगभग 80 गुना ज्यादा है।
दिल्ली में जल आपूर्ति की स्थिति
दिल्ली में, गर्मी के मौसम में पानी की मांग और भी बढ़ जाती है। स्थानीय निवासी दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा प्रदत्त पानी की आपूर्ति पर निर्भर रहते हैं, लेकिन अक्सर पानी की कमी के कारण निजी टैंकरों की ओर रुख करना पड़ता है। डाउन टू अर्थ ने त्रिलोकपुरी कॉलोनी का दौरा किया, जहां लोग सरकारी टैंकरों की कम आपूर्ति से निराश हैं और निजी टैंकरों से महंगे दामों पर पानी खरीदते हैं। त्रिलोकपुरी के निवासी बताते हैं कि सरकारी टैंकर सप्ताह में एक बार ही आते हैं, जिससे उन्हें कई बार निजी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है।
संगम विहार का पानी संकट
संगम विहार, दिल्ली की सबसे घनी आबादी वाली अनधिकृत बस्तियों में से एक, में भी पानी की गंभीर कमी है। यहां के निवासी निजी टैंकरों पर पूरी तरह से निर्भर हैं और गर्मियों के महीनों में पानी की कीमतें आसमान छू जाती हैं। संगम विहार के निवासी ललित मौर्य और के-2 ब्लॉक के निवासी बताते हैं कि वे सप्ताह में एक बार पानी का टैंकर मंगवाते हैं और गर्मियों में पानी की कीमत औसतन 12,000 रुपए तक पहुंच जाती है।
समस्या की जड़ और समाधान
इस स्थिति का मुख्य कारण है कि पाइपलाइन नेटवर्क प्रभावी ढंग से पानी की आपूर्ति नहीं कर पा रहा है। दिल्ली जल बोर्ड दावा करता है कि राजधानी के 93.5 प्रतिशत परिवारों को पाइप के जरिए जल आपूर्ति मिलती है, लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट्स इसके विपरीत दर्शाती हैं। जल आपूर्ति नेटवर्क में सुधार के लिए कई स्थानों पर वाटर एटीएम और अतिरिक्त टैंकर तैनात किए गए हैं, लेकिन फिर भी स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की दिशा
जल बोर्ड के अधिकारी और विशेषज्ञ मानते हैं कि जल आपूर्ति में सुधार के लिए पाइपलाइन नेटवर्क को अधिक स्थानीय और समावेशी बनाने की जरूरत है। सीएसई के एक ताजा सर्वेक्षण से पता चलता है कि संगम विहार के निवासी को सभी स्रोतों से औसतन 45 लीटर पानी मिलता है, जो कि आदर्श रूप से उपलब्ध पानी की मात्रा का महज 30 प्रतिशत है।
स्वच्छता और जल आपूर्ति में सुधार के लिए अधिक प्रभावी उपायों की आवश्यकता है। इसमें सरकारी और निजी दोनों स्तर पर सामंजस्यपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है ताकि पानी की आपूर्ति की समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।
भारत के शहरी क्षेत्रों में बढ़ते पानी के संकट और टैंकर माफिया के दबदबे को देखते हुए यह आवश्यक है कि जल आपूर्ति प्रणाली में सुधार किया जाए। प्रभावी जल प्रबंधन और पाइपलाइन नेटवर्क की पुनरावृत्ति से ही इस समस्या का समाधान संभव है। फिलहाल, सरकार और स्थानीय निकायों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
Source- down to earth