बिहार में कृषि और पर्यावरण सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) में एक हाईटेक जीनोम एडिटिंग लैब स्थापित की जा रही है, जिसका उद्देश्य कम उपज देने वाली फसलों और पौधों की उत्पादकता बढ़ाना और उन्हें रोग प्रतिरोधक क्षमता से युक्त बनाना है। यह तकनीक न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
जीनोम एडिटिंग की विशेषताएं
जीनोम एडिटिंग, जिसे जीन एडिटिंग के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार की जेनेटिक इंजीनियरिंग है। इस तकनीक के माध्यम से पौधों के डीएनए में संशोधन या प्रतिस्थापन किया जाता है, ताकि पौधे बेहतर उत्पादन और उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त कर सकें। इस विधि से नई फसलें और पौधे विकसित किए जा सकेंगे जो कठोर परिस्थितियों में भी फल-फूल सकें।
बीएयू सबौर में बन रही यह लैब न केवल फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगी, बल्कि दुर्लभ और हर्बल पौधों को संरक्षित करने में भी सहायक होगी।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का समर्थन
केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। बीएयू के कुलपति डॉ. डीआर सिंह के अनुसार, इस लैब के माध्यम से फसलों और बागवानी की नई दिशा तय की जाएगी। फिलहाल देश के तीन प्रमुख संस्थानों में जीनोम एडिटिंग पर काम हो रहा है, और अब बिहार भी इस तकनीक को अपनाने की दिशा में अग्रसर है।
किसानों के लिए उम्मीद की किरण
बीएयू के कृषि वैज्ञानिक डॉ. तुषार रंजन के मुताबिक, जीनोम एडिटिंग तकनीक से किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे किसानों को हर मौसम में उपज प्राप्त होगी, चाहे परिस्थितियां कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हों। रोग प्रतिरोधक पौधे किसानों की लागत कम करेंगे और उन्हें बेहतर फसल प्रदान करेंगे।
पर्यावरण संरक्षण में मदद
जीनोम एडिटिंग से न केवल कृषि क्षेत्र को फायदा होगा, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी साबित होगी। इससे जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जीनोम एडिटिंग लैब के बनने से बिहार में कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज हो रहा है। आने वाले समय में इस तकनीक से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण में भी बड़ा योगदान मिलेगा।
जीनोम एडिटिंग जैसी अत्याधुनिक तकनीक बिहार के कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है। इससे न केवल किसानों की उपज और आय में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। कम उपज देने वाली फसलों में सुधार कर, उन्हें रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करना और हर मौसम में फसल उत्पादन को संभव बनाना इस तकनीक की सबसे बड़ी विशेषताएं हैं। जीनोम एडिटिंग लैब का निर्माण बिहार कृषि विश्वविद्यालय में एक नए युग की शुरुआत है, जो कृषि, बागवानी, और पर्यावरण के लिए दीर्घकालिक लाभकारी सिद्ध होगी।
Source- dainik jagran