राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सर्दियों के साथ बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) पहले से ही लागू करने की योजना बनाई गई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने कहा है कि जैसे ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खराब स्तर की ओर बढ़ेगा, त्वरित कार्रवाई शुरू की जाएगी ताकि प्रदूषण के गंभीर स्तर तक पहुंचने से पहले हालात पर काबू पाया जा सके।
- GRAP: वायु प्रदूषण नियंत्रण के चार चरण
- GRAP के तहत प्रदूषण की गंभीरता के आधार पर चार स्तर पर प्रतिबंध और उपाय किए जाते हैं।
पहला चरण (खराब स्तर):
AQI 201-300 के बीच होने पर ईंट भट्ठों और रसायन उद्योगों जैसी प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
- तंदूर में लकड़ी और कोयला जलाने पर प्रतिबंध।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए मेट्रो और बस सेवाओं में इजाफा।
दूसरा चरण (बहुत खराब स्तर):
AQI 301-400 के बीच होने पर पार्किंग शुल्क में वृद्धि की जाएगी ताकि निजी वाहन उपयोग को हतोत्साहित किया जा सके।
- कंस्ट्रक्शन साइटों पर धूल प्रदूषण को रोकने के सख्त नियम लागू होंगे।
- पेट्रोल पंपों पर वाहनों की प्रदूषण जांच अनिवार्य की जाएगी।
तीसरा चरण (गंभीर स्तर):
जब AQI 401-450 के बीच पहुंचेगा, BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल गाड़ियों के संचालन पर प्रतिबंध लगेगा।
- सभी प्रकार के निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर पूरी तरह रोक।
- खुले में कचरा या सूखी पत्तियों को जलाने पर कड़ी कार्रवाई।
चौथा चरण (अत्यंत गंभीर स्तर):
AQI 450 से ऊपर जाने पर स्कूल और कॉलेज बंद करने जैसे आपात कदम उठाए जाएंगे।
- ट्रकों और भारी वाहनों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध।
- लोगों को घर से काम करने की सलाह दी जाएगी और उद्योगों को अस्थायी रूप से बंद किया जाएगा।
प्रदूषण रोकने के लिए MCD की 539 टीमें सक्रिय
दिल्ली नगर निगम (MCD) ने शहर में धूल और कचरे से उत्पन्न वायु प्रदूषण को रोकने के लिए 539 निगरानी टीमें तैनात की हैं। इन टीमों में 1,400 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं।
सूखी पत्तियों और कचरे को जलाने पर नजर रखने के लिए टीमें तीन शिफ्टों में काम करेंगी।
अब तक 546 चालान जारी किए जा चुके हैं और 104 मामलों में मलबे के अनियमित निपटान पर जुर्माना लगाया गया है।
MCD के अधिकारियों ने कहा कि ठंड के मौसम में कूड़ा जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे वायु प्रदूषण में तेजी आती है। ऐसे में इन टीमों का प्राथमिक उद्देश्य आगजनी को रोकना और निर्माण सामग्री के मलबे को उचित स्थान पर निपटाना है।
पराली जलाने पर सख्ती, पंजाब-हरियाणा में टीमें तैनात
प्रत्येक वर्ष सर्दियों में पंजाब और हरियाणा में धान की कटाई के बाद पराली जलाने से हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। इसे रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 26 केंद्रीय टीमें इन राज्यों के हॉटस्पॉट इलाकों में तैनात की हैं।
- ये टीमें जिला प्रशासन के साथ मिलकर पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखेंगी।
- धान की पराली का वैकल्पिक प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
- चंडीगढ़ में एक पराली प्रबंधन केंद्र भी स्थापित किया गया है, जो समन्वय का कार्य करेगा।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के अनुसार, 15 सितंबर से 9 अक्टूबर के बीच पंजाब में 267 और हरियाणा में 187 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। आयोग ने इन घटनाओं पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं ताकि प्रदूषण का असर एनसीआर में न पहुंचे।
ठंड में बढ़ेगी प्रदूषण रोकने की सख्ती
सर्दियों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने की मुख्य वजह पराली जलाने के अलावा निर्माण कार्यों और वाहनों से उत्पन्न धुआं है। ऐसे में प्रशासन ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए अतिरिक्त उपायों की घोषणा की है।
- सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त बसें और मेट्रो सेवाएं चलाई जाएंगी।
- नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे कचरा और मलबे को निर्धारित स्थानों पर ही फेंके और नियमों का पालन करें।
- पर्यावरण विशेषज्ञों ने लोगों से निजी वाहनों के बजाय कारपूलिंग और इलेक्ट्रिक वाहनों का अधिक उपयोग करने की अपील की है।
एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए प्रशासन की तैयारियां तेज़ हो गई हैं। GRAP के प्रभावी क्रियान्वयन और MCD की सक्रिय निगरानी से इस बार प्रदूषण के प्रभाव को कम करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही, पराली जलाने पर सख्त निगरानी और वैकल्पिक प्रबंधन से हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखने की उम्मीद है। नागरिकों के सहयोग से ही इन प्रयासों को सफल बनाया जा सकता है।