स्वच्छ वायु अभियान का दूसरा चरण: बदलावों के साथ तैयारी की शुरुआत

saurabh pandey
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केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (एनसीएपी) के दूसरे चरण की तैयारी शुरू कर दी है, जो 2025-26 में पहले चरण की समाप्ति के बाद लागू होगा। मंत्रालय स्तर पर बैठकों का दौर जारी है, जिसमें पहले चरण की गलतियों को सुधारने और महत्वपूर्ण बदलावों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

एनसीएपी को 10 जनवरी 2019 को 131 प्रदूषित शहरों के लिए पहली राष्ट्रीय पहल के तौर पर शुरू किया गया था। इसके तहत 2019-20 से 2025-26 तक प्रदूषण में 40% कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत, दस लाख से अधिक आबादी वाले 49 शहरों को 15वें वित्त आयोग से धनराशि मिली है, जबकि अन्य 82 शहरों को एनसीएपी से सीधे फंड मिले हैं।

मुख्य कदम:

  • प्रदूषक-भुगतान सिद्धांत का उपयोग करना
  • महत्वपूर्ण प्रदूषण क्षेत्रों में प्राथमिकता वाली कार्रवाइयों पर ध्यान केंद्रित करना
  • प्रदर्शन-लिंक्ड वित्तपोषण को लक्षित प्रमुख कदमों से जोड़ना

सीएसई के सुझाव:

फोकस पीएम-2.5 पर: पीएम-2.5 पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह अधिक हानिकारक है और मुख्य रूप से दहन स्रोतों से उत्सर्जित होता है। पीएम10 की निगरानी स्रोत विशेष पर होनी चाहिए।

उपकरण और नीतिगत उपाय: औद्योगिक, परिवहन, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छ ईंधन और ऊर्जा उत्पादन क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। उदाहरण के लिए, दिल्ली ने हर ट्रक के प्रवेश पर, डीजल ईंधन की बिक्री पर और बड़ी कारों और एसयूवी की बिक्री पर कर लगाया है।

राज्य और केंद्र की जिम्मेदारी: शहर अकेले स्वच्छ वायु मानकों को पूरा नहीं कर सकते, उन्हें पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क और सख्त उपायों की जरूरत है। विभागों की क्षमता को मजबूत किया जाना चाहिए।

क्षेत्रीय दृष्टिकोण: सीमा पार प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। एनसीएपी ने एयरशेड दृष्टिकोण अपनाया है, लेकिन अंतर-राज्यीय समन्वय भी जरूरी है।

संरचित दृष्टिकोण: 2030 तक स्वच्छ वायु कार्रवाई के लिए संसाधनों को जुटाने और संरेखित करने के लिए एक अधिक संरचित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (एनसीएपी) का दूसरा चरण न केवल पहले चरण की कमियों को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, बल्कि इसमें प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई रणनीतियाँ और नीतिगत बदलाव भी लागू किए जाएंगे। सीएसई के सुझावों के अनुसार, पीएम-2.5 पर विशेष ध्यान, औद्योगिक और परिवहन क्षेत्रों में सुधार, और राज्य-केंद्र समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय दृष्टिकोण और संरचित संसाधन जुटाने की योजनाएँ स्वच्छ वायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होंगी।

source and data – दैनिक जागरण

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