डेढ़ साल पहले ही होगी “अल नीनो” की भविष्यवाणी, आपदा से बचाव संभव

saurabh pandey
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अब जलवायु और चरम मौसम संबंधी आपदाओं के खतरों को टालने में सफलता मिलेगी। दरअसल, शोधकर्ताओं ने एक ऐसा मॉडल विकसित किया है जो अल नीनो दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) जैसी घटनाओं का 18 महीने पहले ही पूर्वानुमान लगा सकता है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि मनोआ स्थित हवाई विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओशन एंड अर्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (एसओईएसटी) के शोधकर्ताओं ने हासिल की है। अध्ययन से संबंधित निष्कर्ष नेचर जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

शोधकर्ताओं ने एक नया मॉडल विकसित किया है जिसे एक्सटेंडेड नॉनलाइनियर रिचार्ज ऑसिलेटर (एक्सआरओ) मॉडल नाम दिया गया है। यह मॉडल अल नीनो के भौतिकी और वैश्विक महासागरों में अन्य जलवायु पैटर्न के साथ इसकी आंतरिक बातचीत पर प्रभावी ढंग से काम करता है। इस मॉडल ने 16 से 18 महीने पहले तक सटीक पूर्वानुमान दिए हैं।

El Niño-Southern Oscillation (ENSO) पूर्वानुमानों में सफलता:

शोधकर्ताओं का कहना है कि AI मॉडल की प्रकृति के विपरीत, हमारा XRO मॉडल भूमध्यरेखीय प्रशांत और उष्णकटिबंधीय प्रशांत के बाहर अन्य जलवायु पैटर्न के साथ अपनी आंतरिक बातचीत के बारे में पारदर्शी है। इसके अतिरिक्त, उष्णकटिबंधीय प्रशांत, उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर और अटलांटिक में प्रारंभिक स्थितियां विभिन्न मौसमों में ENSO की भविष्यवाणी को बढ़ाती हैं।

वैश्विक जलवायु मॉडल की अगली पीढ़ी के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी:

शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष में कहा कि एल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) एशिया, प्रशांत महासागर और भारत सहित अमेरिका में हवाओं, मौसम और महासागर के तापमान में बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। यह सूखे, बाढ़, फसलों की हानि और खाद्यान्न की कमी का कारण बनता है। इसके प्रभाव के कारण अर्थव्यवस्थाएं तबाह हो जाती हैं। दुनिया ने वर्ष 2023 और मई 2024 में अल नीनो घटना को महसूस किया।

क्या है अल नीनो ?

अल नीनो एक जलवायु घटना है जो नियमित रूप से हर दो से सात साल के अंतराल पर होती है और इसका प्रभाव वैश्विक मौसम पर पड़ता है। इसका नाम स्पैनिश भाषा के शब्द ‘El Niño’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘बालक’, और इसे क्रिसमस के समय होने वाली घटना के रूप में पहचाना गया था।

अल नीनो कैसे काम करता है:

अल नीनो मुख्यतः प्रशांत महासागर के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र की सतह के तापमान में असामान्य वृद्धि से संबंधित है। सामान्य परिस्थितियों में, प्रशांत महासागर के पश्चिमी हिस्से में गर्म पानी होता है और पूर्वी हिस्से में ठंडा पानी होता है। लेकिन अल नीनो के दौरान, यह पैटर्न उलट जाता है। गर्म पानी पूर्वी प्रशांत महासागर की ओर बढ़ता है और ठंडे पानी की जगह ले लेता है।

अल नीनो के प्रभाव:

मौसम परिवर्तन: अल नीनो की वजह से दुनिया भर में मौसम में असामान्य परिवर्तन होते हैं। यह अमेरिका, एशिया और प्रशांत महासागर के क्षेत्रों में भारी बारिश, बाढ़, सूखा और तूफान जैसी आपदाओं का कारण बन सकता है।

कृषि: अल नीनो का प्रभाव खेती और फसलों पर भी पड़ता है। सूखे और बाढ़ के कारण फसलों की पैदावार में कमी आ सकती है, जिससे खाद्य संकट उत्पन्न हो सकता है।

समुद्री जीवन: अल नीनो के दौरान समुद्र की सतह का तापमान बढ़ने से मछलियों और अन्य समुद्री जीवों पर भी असर पड़ता है। यह मछलियों की संख्या में कमी और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा कर सकता है।

स्वास्थ्य: अल नीनो के कारण जलवायु में हुए बदलावों से संक्रामक रोगों का प्रसार बढ़ सकता है। विशेषकर मलेरिया, डेंगू और जलजनित रोगों के मामलों में वृद्धि हो सकती है।

अल नीनो का पूर्वानुमान:

हाल ही में वैज्ञानिकों ने ऐसे मॉडल विकसित किए हैं जो अल नीनो की घटनाओं का 16 से 18 महीने पहले पूर्वानुमान लगा सकते हैं। हवाई विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओशन एंड अर्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (एसओईएसटी) के शोधकर्ताओं ने एक्सटेंडेड नॉनलाइनियर रिचार्ज ऑसिलेटर (एक्सआरओ) मॉडल नामक एक मॉडल विकसित किया है, जो अल नीनो के भौतिकी और वैश्विक महासागरों में अन्य जलवायु पैटर्न के साथ इसकी आंतरिक बातचीत पर प्रभावी ढंग से काम करता है।

अल नीनो एक महत्वपूर्ण जलवायु घटना है जिसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जाता है। यह मौसम, कृषि, समुद्री जीवन और स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। इसके पूर्वानुमान में हुई प्रगति से आपदाओं के खतरों को कम करने और बेहतर तैयारी करने में सहायता मिलेगी। वैज्ञानिकों का यह प्रयास सराहनीय है और इससे आने वाले समय में अल नीनो के प्रभावों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

source and data – अमर उजाला समाचार पत्र

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