दिवाली की रात देशभर के अधिकांश शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई। आतिशबाजी पर प्रतिबंध के बावजूद बड़े पैमाने पर पटाखे फोड़े गए, जिससे वायु प्रदूषण में खतरनाक बढ़ोतरी देखी गई। दिवाली से एक दिन पहले और उसके बाद के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में भारी अंतर देखा गया। तेज हवाओं की वजह से इस बार स्थिति कुछ हद तक काबू में रही, लेकिन प्रदूषण का स्तर फिर भी खतरनाक बना रहा।
चंडीगढ़ में प्रशासन ने आतिशबाजी के लिए रात 8 से 10 बजे का समय तय किया था, लेकिन यह जल्दी शुरू हो गई और देर रात तक जारी रही। इसका नतीजा यह हुआ कि दिवाली की रात चंडीगढ़ का AQI 395 तक पहुंच गया, जो एक दिन पहले 250 था। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में भी प्रतिबंधों के बावजूद भारी संख्या में पटाखे फोड़े गए, जिससे AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच गया।
उत्तर प्रदेश में प्रदूषण की स्थिति
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक प्रभावित गोरखपुर रहा, जहां AQI 157 दर्ज किया गया। लखनऊ और कानपुर का AQI 153 रहा, जबकि बरेली का 146 और मुरादाबाद का 144 था। ये सभी AQI ‘खराब’ श्रेणी में आए, जो सामान्य स्थिति के लिए हानिकारक मानी जाती है।
अन्य शहरों में प्रदूषण का स्तर
पटना में दिवाली की रात का वायु प्रदूषण सामान्य दिनों की तुलना में काफी बढ़ गया। कोलकाता में भी जमकर आतिशबाजी की गई, जिसके बाद ध्वनि स्तर 104.6 डेसिबल तक पहुंच गया। पहाड़ी इलाकों में भी प्रदूषण का असर देखा गया। देहरादून का AQI दिवाली की रात 270 रहा, जो एक दिन पहले 159 था। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देहरादून में ड्रोन के जरिए पानी का छिड़काव कर प्रदूषण कम करने का प्रयास किया।
औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में प्रदूषण देश के टॉप 15 प्रदूषित शहरों में रहा। दिवाली के दिन बद्दी का AQI 351 पर पहुंच गया, जो गंभीर स्थिति को दर्शाता है। इस बार तेज हवाओं के कारण कुछ हद तक प्रदूषण का असर कम हुआ, पर यह शहरों के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है। दिवाली के दौरान पटाखों से निकलने वाले धुएं और हानिकारक गैसों का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लोगों को इसके प्रति जागरूक होने और प्रदूषण नियंत्रण में सहयोग करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में स्वच्छ वायु का लाभ मिल सके।
दिवाली के दौरान आतिशबाजी से वायु प्रदूषण में खतरनाक बढ़ोतरी देखी गई, जिससे पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक हवा जहरीली हो गई। प्रतिबंधों के बावजूद पटाखों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हुआ, जिससे वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच गई। तेज हवाओं ने इस बार स्थिति को थोड़ा नियंत्रण में रखा, लेकिन बढ़ता प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। ऐसे में, यह जरूरी है कि हम सभी जागरूक होकर पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाएं और स्वच्छ हवा बनाए रखने में योगदान दें। आतिशबाजी की परंपराओं पर पुनर्विचार कर और वैकल्पिक उत्सवों को अपनाकर हम प्रदूषण को कम कर सकते हैं, जिससे स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण का निर्माण हो सके।