दिल्ली की 54 किलोमीटर लंबी यमुना नदी में लगातार सीवेज, घरेलू अपशिष्ट और औद्योगिक प्रवाह के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कई आदेश जारी किए हैं, जिसमें यमुना के पुनरुद्धार के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और डिसेंट्रलाइज सीवेज ट्रीटमेंट (डीएसटीपी) लगाने के निर्देश शामिल हैं। हालांकि, दिल्ली में इन प्राधिकरणों द्वारा अदालतों में दिए गए हलफनामे और बयानों में काफी असंगतियाँ उजागर हो रही हैं।
6 अगस्त, 2024 को एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में निजामुद्दीन वेस्ट एसोसिएशन बनाम भारत सरकार के मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली जल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में कई त्रुटियाँ सामने आईं। दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में कुल 40 एसटीपी में से केवल 32 ही चालू हैं, जबकि 8 एसटीपी निष्क्रिय हैं।
इसके अलावा, कई एसटीपी जैसे कोंडली, कोंडली फेज-2, कोंडली फेज-3, रिठाला फेज-1 और कोंडली एसटीपी फेज-4 अंडर ट्रायल रन में हैं, और ओखला एसटीपी फेज-4, मेहरौली एसटीपी, वसंत कुंज ओल्ड-5, वसंत कुंज न्यू, और घिटोरनी एसटीपी का टेंडर अभी तक जारी नहीं किया गया है।
एक अन्य हलफनामे में यह जानकारी दी गई है कि 59 झुग्गी-झोपड़ी कलस्टर से निकलने वाले नालों में से केवल एक नाले की ट्रैपिंग की गई है। दिल्ली जल बोर्ड ने आश्वस्त किया है कि वे एसटीपी और डीएसटीपी की अद्यतन रिपोर्ट अदालत में पेश करेंगे।
दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार, दिल्ली में प्रतिदिन 744 मिलियन गैलन (एमजीडी) सीवेज उत्पन्न होता है, जो दिल्ली को आपूर्ति होने वाले 930 एमजीडी का 80 फीसदी है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में दिल्ली की अनुमानित जनसंख्या 2.15 करोड़ है। दिल्ली के 20 स्थानों पर करीब 37 एसटीपी काम कर रहे हैं, जो कि प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले सीवेज का 84.2 फीसदी ही उपचार कर सकते हैं।
अदालत में दिए गए हलफनामे से यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान में 37 से भी कम एसटीपी पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं। यमुना में प्रदूषण की रोकथाम के प्रयास जारी हैं, लेकिन सीवेज और औद्योगिक प्रवाह की रोकथाम के लिए एसटीपी और डीएसटीपी की स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है।
एनजीटी में चल रहे मामले में यह भी सामने आया कि दिल्ली विकास प्राधिकरण ने कुछ एसटीपी के लिए आवंटित की गई जमीने भी निरस्त कर दी हैं। दिल्ली के मुख्य सचिव ने यमुना से जुड़े शहरी नालों की सफाई और डी-सिल्टिंग पर सिफारिशें की हैं, जिन्हें एनजीटी ने समयबद्ध तरीके से पूरा करने का आदेश दिया है। इसमें बारापुला ड्रेन का बैथिमेट्रिक सर्वे, सुनेहरीपुल और कुशक ड्रेन की सफाई, और यमुना किनारे अतिक्रमण हटाने के कार्य शामिल हैं। इन निर्णयों के अनुसार, बारापुला ड्रेन पर कैमरा इंस्टॉल करने और सड़क किनारे बाड़ेबंदी करने की सिफारिश की गई है। अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी, जिसमें दिल्ली के एसटीपी और डीएसटीपी की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
Source- down to earth