दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। 23 अक्टूबर 2024 को एक्यूआई 364 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। दिल्ली ही नहीं, बल्कि दौसा (316) और गाजियाबाद (305) में भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं।
प्रदूषण के खतरे से जूझते शहर
देशभर में कई शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। दिल्ली-एनसीआर के अन्य क्षेत्रों जैसे फरीदाबाद (238), गुरुग्राम (247), नोएडा (300), और ग्रेटर नोएडा (254) में भी हवा की गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो श्वसन संबंधी बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं में तेजी से इजाफा होगा।
अन्य शहरों का हाल
देशभर के 252 शहरों में प्रदूषण से हालात बिगड़ते जा रहे हैं:
- बढ़ते प्रदूषण के शहर: जयपुर (162), पटना (170), चंडीगढ़ (215) जैसे शहरों में भी वायु गुणवत्ता मध्यम से खराब श्रेणी में दर्ज की गई।
- संतोषजनक वायु गुणवत्ता: मुंबई (71), चेन्नई (69), और हैदराबाद (69) जैसे शहरों में प्रदूषण का स्तर अभी संतोषजनक है।
- स्वच्छ हवा वाले शहरों में गिरावट: केवल 42 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहतर (0-50 AQI) रही। इनमें पालकलाईपेरुर सबसे स्वच्छ शहर है, जहां एक्यूआई 19 दर्ज किया गया।
बढ़ती चिंताएं और स्वास्थ्य पर प्रभाव
प्रदूषण के बढ़ते स्तर का सीधा असर नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में जहरीली हवा के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं, आंखों में जलन, और अस्थमा जैसी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों ने बुजुर्गों, बच्चों, और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी है।
रेल सेवाओं पर भी पड़ा असर
प्रदूषण के कारण परिवहन सेवाओं पर भी असर पड़ा है। दिल्ली-एनसीआर में रेलवे ने कई ट्रेनें रद्द कर दी हैं, और वायु प्रदूषण को देखते हुए आगे और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
प्रदूषण रोकने के लिए क्या हो रहे प्रयास?
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य सरकारों ने प्रदूषण कम करने के लिए कुछ आपातकालीन कदम उठाए हैं। दिल्ली में निर्माण गतिविधियों पर पाबंदी लगाई गई है और वाहनों की आवाजाही पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। बावजूद इसके, बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बना हुआ है।
जरूरी कदम और सुझाव
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाने की जरूरत है। इसमें सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, निजी वाहनों की संख्या सीमित करना, और कचरा जलाने पर सख्त पाबंदी शामिल है। इसके साथ ही, लोगों को मास्क पहनने और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।
दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का संकट गहराता जा रहा है। जहरीली हवा न केवल पर्यावरण बल्कि स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है। अब समय आ गया है कि सरकार और नागरिक मिलकर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाएं। तभी आने वाले दिनों में स्वच्छ हवा में सांस लेना संभव हो सकेगा।
दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का संकट गंभीर रूप ले चुका है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। जहरीली हवा का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, जिससे लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। फरीदाबाद, नोएडा, और गाजियाबाद सहित कई शहर भी प्रदूषण की चपेट में हैं।
ऐसी स्थिति में सरकार, स्थानीय प्रशासन और नागरिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे। निर्माण गतिविधियों पर पाबंदी, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, और कचरा जलाने पर रोक जैसे कदम बेहद जरूरी हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह का पालन करते हुए लोग मास्क का उपयोग करें और अनावश्यक बाहरी गतिविधियों से बचें। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में हालात और भी बदतर हो सकते हैं। स्वच्छ हवा के लिए आज निर्णायक कार्रवाई अनिवार्य हो गई है।