सर्दी का मौसम दस्तक देने वाला है, और दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। एक हफ्ते पहले जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 76 था, वहीं गुरुवार को यह 162 तक पहुंच गया। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से वाहनों से निकलने वाले धुएं की वजह से हो रही है।
IIITM पुणे की रिपोर्ट
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहन उत्सर्जन है। पिछले 10 दिनों की निगरानी रिपोर्ट बताती है कि पराली जलाने का अभी तक दिल्ली के AQI पर कोई खास असर नहीं है। अगले तीन-चार दिनों तक भी पराली से प्रदूषण में वृद्धि की संभावना नहीं है।
प्रदूषण के अन्य स्रोत
वाहन उत्सर्जन के अलावा, घरेलू और औद्योगिक धुआं, कूड़ा जलाना, सड़क की धूल और मलबा भी प्रदूषण बढ़ाने में योगदान कर रहे हैं। एनसीआर के जिलों जैसे सोनीपत, गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और रोहतक से भी प्रदूषण दिल्ली की हवा को खराब कर रहा है।
प्रदूषण का प्रतिशत
- वाहन धुआं: 21%
- औद्योगिक धुआं: 5%
- घरेलू प्रदूषण: 6%
- सड़क धूल: 3-5%
- मलबा: 3-4%
- कूड़ा जलाना: 2-3%
- पावर प्लांट: 2%
पर्यावरणविदों की राय
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय स्तर पर सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। सीपीसीबी के पूर्व अतिरिक्त निदेशक दीपांकर साहा ने कहा कि बारिश के कारण कुछ समय के लिए धूल और धुआं दबा हुआ था, लेकिन अब यह फिर से हवा को जहरीला बना रहा है। आने वाले दिनों में पराली का धुआं स्थिति को और भी खराब कर सकता है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है, और इसे नियंत्रित करने के लिए तत्काल और प्रभावी उपायों की आवश्यकता है।
दिल्ली में वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है, जबकि औद्योगिक धुआं, सड़क की धूल, और कूड़ा जलाना भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। IIITM पुणे की रिपोर्ट के अनुसार, पराली जलाने का फिलहाल दिल्ली के AQI पर कोई खास असर नहीं है, लेकिन आने वाले दिनों में इसका प्रभाव बढ़ सकता है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार और प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे, विशेष रूप से वाहन उत्सर्जन पर नियंत्रण और प्रदूषण फैलाने वाले अन्य स्रोतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। यदि जल्द प्रभावी उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले दिनों में दिल्लीवासियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।