दिल्ली में प्रदूषण जांच के नियम: पेट्रोल पंपों पर चालान की प्रक्रिया और नवीनतम अपडेट

saurabh pandey
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दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मद्देनज़र, परिवहन विभाग ने प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) की वैधता को लेकर नई कार्रवाई शुरू की है। इस वर्ष, पेट्रोल पंपों पर ईंधन भरते समय यदि वाहन का प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र समाप्त हो गया है, तो चालान काटे जा रहे हैं। इस प्रक्रिया के तहत अब तक 22 हजार से अधिक वाहनों पर चालान जारी किए जा चुके हैं।

पेट्रोल पंपों पर निगरानी

दिल्ली सरकार ने पिछले मार्च में एक नई प्रणाली लागू की, जिसमें पेट्रोल पंपों पर लगाए गए कैमरों को वाहन सॉफ्टवेयर से जोड़ा गया है। इन कैमरों की मदद से, प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र की वैधता की तुरंत निगरानी की जा रही है। जब कोई वाहन पेट्रोल पंप पर रुकता है, तो कैमरे उसकी नंबर प्लेट को पढ़ते हैं और यदि पीयूसीसी वैध नहीं है, तो वाहन मालिक को सूचित किया जाता है। तीन घंटे के भीतर यदि वाहन की प्रदूषण जांच नहीं कराई जाती है, तो चालान जारी कर दिया जाता है।

नियंत्रण और जुर्माना

पेट्रोल पंपों पर लगाए गए एआई कैमरे अब तक हजारों चालान जारी कर चुके हैं। अगर प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र समाप्त पाया जाता है, तो वाहन मालिक को 1000 रुपये का चालान भरना पड़ सकता है। यदि वाहन मालिक ने तीन घंटे के भीतर अपनी प्रदूषण जांच नहीं कराई, तो जुर्माना बढ़ सकता है और 10 हजार रुपये तक का चालान किया जा सकता है।

मोबाइल टीमें और सख्ती

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर 30 मोबाइल टीमें भी तैनात की गई हैं, जो पेट्रोल पंपों पर जांच करती हैं। इन टीमों का काम प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र की वैधता की निगरानी करना और संबंधित नियमों का पालन सुनिश्चित करना है। पहली बार उल्लंघन करने पर वाहन मालिक को चालान के साथ छोड़ दिया जाता है, लेकिन दूसरी बार पकड़े जाने पर छह महीने तक की सजा का भी प्रावधान है।

नियम और प्रक्रिया

  • कैमरे की निगरानी: पेट्रोल पंपों पर लगाए गए एआई कैमरे वाहन सॉफ्टवेयर से जुड़े हैं और नंबर प्लेट पढ़कर पीयूसीसी की वैधता की जांच करते हैं।
  • सूचना और चालान: यदि पीयूसीसी समाप्त है, तो वाहन मालिक को सूचना भेजी जाती है। तीन घंटे बाद वाहन की जांच की स्थिति का पुनरावलोकन किया जाता है। जांच न कराए जाने पर चालान जारी होता है।
  • जुर्माना और सजा: पहले उल्लंघन पर 1000 रुपये का चालान, जबकि पुनरावृत्ति पर 10 हजार रुपये का जुर्माना और छह महीने तक की सजा हो सकती है।

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए ये कदम प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र की निगरानी को अधिक प्रभावी और त्वरित बना रहे हैं। हालांकि, नागरिकों को चाहिए कि वे अपने वाहनों की प्रदूषण जांच समय पर कराएं और नियमों का पालन करें, ताकि सख्त जुर्माना और कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।

दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए हाल ही में लागू की गई नई प्रणाली के तहत पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र की निगरानी की जा रही है, जिससे सख्त जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जा रही है। यह प्रणाली वाहन मालिकों को प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र की वैधता के लिए त्वरित और प्रभावी जांच करने की सुविधा प्रदान करती है। हालांकि, इसका उद्देश्य केवल जुर्माना लगाना नहीं है, बल्कि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करना और पर्यावरण की रक्षा करना भी है।

सख्त निगरानी और त्वरित चालान की प्रक्रिया के माध्यम से दिल्ली सरकार प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। वाहन मालिकों को चाहिए कि वे अपने वाहनों की प्रदूषण जांच समय पर कराएं और इस नई प्रणाली के साथ पूरी तरह से सहयोग करें। इसके परिणामस्वरूप, न केवल वे जुर्माने से बच सकेंगे, बल्कि शहर के प्रदूषण स्तर को भी कम करने में योगदान देंगे।

Source- Hindustan news paper

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