दिल्ली उच्च न्यायालय ने यमुना के डूब क्षेत्र में स्थित एक अनाधिकृत कॉलोनी के निवासियों को जारी बेदखली नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। यमुना नदी में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि भले ही श्रम विहार कॉलोनी डूब क्षेत्र के बाहर हो, लेकिन यह क्षेत्र यमुना के पुनरुद्धार और पर्यावरण अनुकूल विकास के लिए निर्धारित जोन ‘ओ’ में आता है।
न्यायालय की टिप्पणी और बेदखली पर निर्णय
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि आवेदकों द्वारा कॉलोनी को निजी भूमि पर होने का दावा किया गया, लेकिन न तो कोई स्वीकृत योजना और न ही निर्माण का पूर्णता प्रमाण पत्र पेश किया गया। ऐसे में बेदखली नोटिस पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है। पीठ ने यमुना में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि नदी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर अनुमेय सीमा से हजारों गुना अधिक हो चुका है, जिसका मुख्य कारण अनाधिकृत कॉलोनियों से अनुपचारित सीवेज का सीधे नदी में छोड़ा जाना है।
यमुना में बढ़ता प्रदूषण: एक गंभीर समस्या
सितंबर 2024 में यमुना में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। यह नदी के प्रदूषण का सबसे बड़ा प्रमाण है, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से खतरनाक है बल्कि यमुना के आसपास रहने वाले लाखों लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। यमुना के प्रदूषण का एक बड़ा कारण इन अनधिकृत कॉलोनियों से बिना उपचार के छोड़ा जाने वाला सीवेज है, जिससे नदी की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
जोन ‘ओ’ और पर्यावरणीय दृष्टिकोण
जोन ‘ओ’ की परिकल्पना यमुना नदी के पुनरुद्धार और उसके पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना के आधार पर पर्यावरण अनुकूल विकास के लिए की गई है। यह क्षेत्र यमुना नदी के किनारे स्थित है और इसका उद्देश्य नदी के आस-पास के विकास को नियंत्रित करना है ताकि यमुना का पारिस्थितिक संतुलन कायम रह सके। अदालत का मानना है कि इस क्षेत्र में अनाधिकृत कॉलोनियों का निर्माण और सीवेज का सीधा नदी में प्रवेश नदी के पुनरुद्धार के उद्देश्यों के विपरीत है।
बेदखली की आवश्यकता
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में बेदखली नोटिस पर रोक लगाना संभव नहीं है, क्योंकि इससे यमुना के पुनरुद्धार के प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अनधिकृत निर्माण और पर्यावरण नियमों की अनदेखी से यमुना का प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसे नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
यमुना नदी दिल्ली की जीवनरेखा है, लेकिन लगातार बढ़ते प्रदूषण और अनधिकृत कॉलोनियों की वजह से इसकी हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है। अदालत के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि यमुना को बचाने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे, चाहे वह बेदखली की कार्रवाई हो या सीवेज प्रबंधन के कड़े नियम। यदि यमुना को उसके प्राकृतिक रूप में वापस लाना है, तो नागरिकों और सरकार को मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदारी उठानी होगी।