प्रदूषित यमुना पर राजनीति गर्माई: एलजी ने आप सरकार पर साधा निशाना

saurabh pandey
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दिल्ली में यमुना नदी की गंभीर प्रदूषण स्थिति पर सियासी घमासान तेज हो गया है। मंगलवार को उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने यमुना में जहरीले झाग की तस्वीरें साझा करते हुए आप सरकार पर निशाना साधा। अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा, “सच की आदत बहुत खराब होती है, इसे दबाया नहीं जा सकता।” इसके साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “बहाने और आरोपों के बजाय ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि दिल्ली के लोग इस भयावह स्थिति से राहत पा सकें।”

झाग की तस्वीरें साझा कर उठाए सवाल

एलजी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर यमुना की स्थिति को उजागर करते हुए कई तस्वीरें साझा कीं, जिनमें नदी में जहरीला झाग और फैला हुआ कचरा साफ देखा जा सकता है। उन्होंने लिखा, “समस्या पर पर्दा डालने के बजाय समाधान की ओर ध्यान देना जरूरी है, ताकि दिल्लीवासियों, विशेष रूप से छठ पूजा मनाने वाले भक्तों को इस संकट से छुटकारा मिले।” सक्सेना ने उम्मीद जताई कि जल्द ही “जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएंगे।”

पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का पलटवार

इस मुद्दे पर जब दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने यमुना की दुर्दशा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। राय ने आरोप लगाया कि “AAP सरकार लगातार सफाई के प्रयास कर रही है, लेकिन भाजपा राजनीतिक कारणों से हमारे नेताओं को जेल में डाल रही है, जिससे यमुना की सफाई प्रभावित हुई है।”

उन्होंने आगे कहा कि “यमुना की सफाई एक सामूहिक प्रयास की मांग करती है, लेकिन भाजपा सहयोग के बजाय रुकावट पैदा कर रही है।”

झाग पर रसायन छिड़काव की आलोचना

कालिंदी कुंज के पास यमुना के पानी में झाग को हटाने के लिए सरकारी कर्मचारी रसायनों का छिड़काव करते दिखे, जिसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। पर्यावरणविदों का मानना है कि रसायनों का छिड़काव केवल अस्थायी समाधान है और नदी की सफाई के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है। सक्सेना ने इस छिड़काव पर भी अप्रत्यक्ष रूप से तंज कसते हुए कहा कि “दिल्ली के नागरिकों को केवल दिखावे के बजाय ठोस समाधान की दरकार है।”

यमुना प्रदूषण का बढ़ता संकट

यमुना नदी दिल्ली की जीवनरेखा होने के बावजूद वर्षों से भारी प्रदूषण का शिकार है। औद्योगिक कचरे, घरेलू अपशिष्ट और मलजल के अनियंत्रित प्रवाह के कारण नदी का पानी जहरीला हो चुका है। धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों के दौरान, विशेष रूप से छठ पूजा के समय, यह प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा बन जाता है।

यमुना में बढ़ते झाग और विषाक्त रसायनों का प्रभाव न केवल पर्यावरण बल्कि उन श्रद्धालुओं के लिए भी चिंता का विषय है जो पवित्र स्नान के लिए नदी में उतरते हैं।

राजनीतिक टकराव या समाधान की जरूरत?

यमुना की सफाई का मुद्दा सालों से राजनीतिक विवादों के घेरे में है। भाजपा और आप सरकार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती रही हैं, लेकिन नदी की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यमुना को साफ करने के लिए केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं, बल्कि योजनाबद्ध प्रयासों की जरूरत है।

एलजी सक्सेना और आप सरकार के बीच चल रहे टकराव ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रशासनिक तंत्र इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकाल पाएगा, या फिर यह मुद्दा केवल राजनीतिक जंग का हिस्सा बनकर रह जाएगा?

यमुना की सफाई और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच, दिल्ली के लोगों को ठोस परिणामों की उम्मीद है। सरकारों का यह कर्तव्य है कि वे राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर सहयोग करें और यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रयासों को गंभीरता से लागू करें। यह न केवल दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक लक्ष्यों को भी पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। अगर यमुना को बचाने के लिए समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

यमुना नदी की सफाई केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक सामूहिक प्रयास की मांग करती है, जिसमें सरकार, जनता और संस्थानों का सक्रिय सहयोग जरूरी है। लगातार बढ़ते प्रदूषण ने न केवल नदी की सेहत बल्कि पर्यावरण और नागरिकों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है।

राजनीतिक बयानबाजी और आपसी आरोप-प्रत्यारोप से समस्या का समाधान संभव नहीं है। स्थायी सुधार के लिए ठोस योजनाओं, बेहतर जल प्रबंधन, और औद्योगिक कचरे पर सख्त नियंत्रण की आवश्यकता है। इसके अलावा, जागरूकता अभियान चलाकर नागरिकों को भी स्वच्छता में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना जरूरी है।

यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यमुना का प्रदूषण न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में बाधा डालेगा, बल्कि दिल्ली की जल आपूर्ति और पर्यावरणीय संतुलन को भी गहरा नुकसान पहुंचाएगा। प्रशासनिक तंत्र और सभी संबंधित पक्षों को मिलकर राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर यमुना को पुनर्जीवित करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।

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