राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने खुली आग से कूड़ा जलाने पर रोक लगाने और धूल नियंत्रण को सख्त करने के निर्देश दिए हैं। मिश्रा ने यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि निर्माण स्थलों से धूल और कचरे का उचित प्रबंधन किया जाए, ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके।
कचरे से ऊर्जा बनाने की योजनाओं में देरी
दिल्ली में लैंडफिल साइटों की सफाई की धीमी प्रगति और कचरे से ऊर्जा बनाने की योजनाओं में हो रही देरी ने प्रशासन के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। मिश्रा ने निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों को सख्ती से लागू करने की जरूरत को रेखांकित किया। इसके तहत, सभी एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे उच्च प्रदूषण वाले क्षेत्रों में एंटी-स्मॉग गन की संख्या को बढ़ाएं और सड़कों की सफाई के लिए मशीनों का अधिक उपयोग करें।
निर्माण स्थलों से निकलने वाली धूल का प्रबंधन
दिल्ली के मुख्य सचिव ने प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल, बायोमास का जलना और वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन शहर में प्रदूषण को बढ़ाने वाले मुख्य कारण हैं। सर्दियों के मौसम में ये समस्याएँ और भी गंभीर हो जाती हैं। उन्होंने निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपायों की निगरानी को बढ़ाने और सख्ती से पालन कराने की आवश्यकता पर जोर दिया।
हरियाली और स्थायी सड़कों की दिशा में कदम
पीके मिश्रा ने खुले क्षेत्रों को पक्की सड़कों में बदलने और सड़कों के किनारों को हरा-भरा बनाने की दिशा में एक मिशन-मोड दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया। इससे धूल का उत्पादन कम होगा और वायु गुणवत्ता में सुधार होगा। इसके अलावा, कृषि पराली जलाने को पूरी तरह से समाप्त करने पर भी चर्चा की गई, जो कि मौसमी वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर जोर
बैठक में मिश्रा ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने का निर्देश दिया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि भविष्य के पंजीकरणों में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दी जाए, खासकर वाणिज्यिक और सार्वजनिक परिवहन के लिए। इसके अलावा, डीजल जनरेटर पर निर्भरता को कम करने के लिए दिल्ली में निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से उठाए गए ये कदम एक सकारात्मक दिशा में हैं। अगर इन निर्देशों का सही ढंग से पालन किया जाए, तो न केवल वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि नागरिकों की सेहत पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह सभी संबंधित विभागों और नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे मिलकर इस दिशा में कार्य करें ताकि दिल्ली को एक साफ और स्वस्थ शहर बनाया जा सके।