घर में तुलसी और लेमनग्रास लगाएं, डेंगू और मलेरिया नहीं होगा

saurabh pandey
8 Min Read

जलजनित बीमारियों जैसे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से बचाव के लिए तुलसी, लेमनग्रास, गेंदा, पुदीना और लैवेंडर के पौधों की मांग में वृद्धि हो रही है। दिल्ली की नर्सरियों में इन औषधीय पौधों की बिक्री में 50 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। लेमनग्रास और सिट्रोनेला के पौधों की सबसे अधिक मांग है।

मच्छर भगाने वाले पौधे

विशेषज्ञों के अनुसार, ये पौधे प्राकृतिक मच्छर भगाने वाले हैं। इनसे निकलने वाली गंध से मच्छर भाग जाते हैं। बारिश के मौसम में डेंगू और मलेरिया के मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है, जिससे बचाव के लिए लोग इन पौधों का सहारा ले रहे हैं। ये पौधे घरों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ मच्छरों को भी भगाते हैं।

लेमनग्रास और सिट्रोनेला

सिट्रोनेला पौधे की पत्तियों को शरीर पर लगाने से मच्छर काटते नहीं हैं। वनस्पति विज्ञान विशेषज्ञ रविंदर गंगवार बताते हैं कि मच्छरों को इन पौधों की महक पसंद नहीं आती और वे इसे अपने लिए खतरा मानते हैं।

तुलसी और अन्य औषधीय पौधे

तुलसी की महक से मच्छर दूर रहते हैं और इसके पानी को हाथ, गर्दन और पैरों पर छिड़कने से भी मच्छर दूर रहते हैं। लेमनग्रास की तेज महक से मच्छर बर्दाश्त नहीं कर पाते और भाग जाते हैं। गेंदे के फूल की महक से मच्छर और अन्य कीड़े भी दूर रहते हैं।

नर्सरियों में पौधों की मांग

दिल्ली की नर्सरियों में लेमनग्रास, तुलसी और गेंदे के पौधों की मांग में काफी वृद्धि हो रही है। रोहिणी से आरके पुरम नर्सरी में खरीदारी के लिए आईं प्रियंका सिंह ने बताया कि बारिश के दौरान मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है, इसलिए वह घरेलू उपचार के लिए पौधे खरीदने आई हैं।

निजामुद्दीन में नर्सरी मालिक रामेश्वर यादव का कहना है कि ये पौधे न सिर्फ घर की खूबसूरती बढ़ाते हैं बल्कि मच्छरों को भी दूर रखते हैं। बारिश के बाद लेमनग्रास और तुलसी के पौधों की खरीदारी में बढ़ोतरी हुई है।

तुलसी का पौधा: एक आश्चर्यजनक गुणकारी

तुलसी पौधा भारतीय घरों में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व का प्रतीक है जिसे ‘ओसीमम सैन्क्टम’ यानी ‘पवित्र पौधा’ भी कहा जाता है। इसके विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें शाम, वानस्पत्य, राम और कृष्ण तुलसी प्रमुख हैं।

तुलसी का महत्व:

  • आध्यात्मिक महत्व: तुलसी को भगवान विष्णु की स्त्री माना जाता है और इसकी पूजा घरों में की जाती है। यह हिंदू धर्म में पवित्रता और शुभता का प्रतीक है।
  • आयुर्वेदिक गुणकारी: तुलसी के पत्ते में विशेष औषधीय गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं जो विभिन्न बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
  • परंपरागत उपयोग: तुलसी के पत्तों का चाय, काढ़ा, अर्क और पाउडर का उपयोग विभिन्न रोगों में उपचार के लिए किया जाता है। इसे धर्मिक और सांस्कृतिक कार्यों में भी उपयोग किया जाता है।
  • प्राकृतिक कीट-नाशक: तुलसी की महक मच्छरों और अन्य कीटों को दूर रखने में मदद करती है, इसलिए इसे घर के आसपास लगाना भी फायदेमंद होता है।
  • वैज्ञानिक अध्ययन: वैज्ञानिक अध्ययनों में भी पाया गया है कि तुलसी के उपयोग से रोगों का प्रतिरोध बढ़ता है और सामाजिक-मनोवैज्ञानिक लाभ होता है।

तुलसी एक ऐसा पौधा है जिसे हमारी संस्कृति और सेहत दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके औषधीय गुण, धार्मिक महत्व, और प्राकृतिक कीट-नाशक स्वभाव ने इसे एक अनमोल पौधा बना दिया है जिसे हमें अपने जीवन में समेटना चाहिए।

लेमनग्रास: एक औषधीय पौधा

लेमनग्रास (Cymbopogon citratus) एक प्रमुख औषधीय पौधा है जो अपनी विशिष्ट महक और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसे हिंदी में ‘लेमनग्रास’ कहा जाता है, और यह पौधा न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा में बल्कि आधुनिक औषधि विज्ञान में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

पहचान और विशेषताएँ

लेमनग्रास एक लंबा, हरा पौधा है जिसकी पत्तियाँ लंबी और पतली होती हैं। इसकी महक नींबू जैसी होती है, जिससे इसे ‘लेमनग्रास’ नाम मिला है। यह पौधा उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है और इसकी खेती विशेष रूप से भारत, श्रीलंका, थाईलैंड, और इंडोनेशिया में की जाती है।

औषधीय गुण

लेमनग्रास में कई औषधीय गुण होते हैं, जो इसे विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोगी बनाते हैं:

  • मच्छर भगाने के गुण: लेमनग्रास की महक मच्छरों को भगाने में अत्यधिक प्रभावी होती है। इसमें मौजूद सिट्रोनेला तत्व मच्छरों को दूर रखने में सहायक होते हैं। लेमनग्रास ऑयल का उपयोग भी मच्छरों को भगाने के लिए किया जाता है।
  • पाचन संबंधी समस्याएँ: लेमनग्रास का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है और पाचन संबंधी समस्याओं जैसे अपच, गैस, और पेट दर्द में राहत प्रदान करता है। इसके तेल का उपयोग भी पाचन को सुधारने के लिए किया जाता है।
  • सर्दी और खांसी: लेमनग्रास का अर्क सर्दी और खांसी के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। इसका काढ़ा बनाकर पीने से गले की खराश और खांसी में राहत मिलती है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली: लेमनग्रास में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और संक्रमणों से बचाव करते हैं।
  • तनाव और चिंता: लेमनग्रास का उपयोग अरोमाथेरेपी में किया जाता है। इसकी महक मानसिक तनाव और चिंता को कम करती है और मस्तिष्क को शांति प्रदान करती है।

उपयोग

लेमनग्रास का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है:

  • चाय: लेमनग्रास की पत्तियों को उबालकर चाय बनाई जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी होती है।
  • तेल: लेमनग्रास ऑयल का उपयोग अरोमाथेरेपी, मच्छर भगाने, और त्वचा की देखभाल के लिए किया जाता है।
  • खाद्य पदार्थ: लेमनग्रास का उपयोग विभिन्न व्यंजनों में मसाले के रूप में किया जाता है, विशेष रूप से थाई और वियतनामी व्यंजनों में।

खेती और देखभाल

लेमनग्रास की खेती आसान है और इसे घर के बगीचे या गमलों में भी उगाया जा सकता है। इसे अच्छी धूप, पर्याप्त पानी, और उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता होती है। पौधे को 3 से 4 घंटे की धूप मिलनी चाहिए और इसे नियमित रूप से पानी देना चाहिए।

लेमनग्रास एक अत्यंत उपयोगी और बहुपयोगी औषधीय पौधा है। इसके औषधीय गुण और उपयोग इसे स्वास्थ्य के लिए एक अनमोल प्राकृतिक संपदा बनाते हैं। घर में लेमनग्रास उगाने से न केवल मच्छरों से बचाव होता है, बल्कि यह विभिन्न बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए, इसे अपने बगीचे में लगाना न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि पर्यावरण के लिए भी सहायक है।

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