भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और पैनेसिया बायोटेक ने भारत में पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण शुरू कर दिया है। इस वैक्सीन का नाम ‘डेंगिआल’ है और इसे पैनेसिया बायोटेक ने विकसित किया है। परीक्षण के पहले प्रतिभागी को आज पंडित भगवत दयाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (PGIMS), रोहतक में टीका लगाया गया।
क्लिनिकल परीक्षण का दायरा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पैनेसिया बायोटेक और ICMR के सहयोग से भारत के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 19 स्थानों पर इस परीक्षण को अंजाम दिया जाएगा। इसमें 10,335 से अधिक स्वस्थ वयस्क प्रतिभागी शामिल होंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि यह भारत की पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
डेंगू के मामलों की स्थिति
डेंगू के मामलों और मौतों के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में डेंगू के मामले और बढ़े हैं:
- 2018: 10,148 मामले
- 2019: 15,731 मामले
- 2020: 44,845 मामले
- 2021: 193,245 मामले
- 2022: 233,251 मामले
- 2023: 289,235 मामले
- 2024 (आशंका): 320,901 मामले
वैक्सीन का महत्व
वर्तमान में भारत में डेंगू के लिए कोई एंटीवायरल उपचार या लाइसेंस प्राप्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। सभी चार डेंगू वायरस सीरोटाइप्स के लिए एक प्रभावी वैक्सीन का विकास आवश्यक है, क्योंकि ये सीरोटाइप्स भारत के कई क्षेत्रों में प्रचलित हैं। टेट्रावैलेंट डेंगू वैक्सीन स्ट्रेन (TV003/TV005) ने वैश्विक स्तर पर प्रीक्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षणों में सकारात्मक परिणाम दिए हैं। पैनेसिया बायोटेक इस स्ट्रेन को प्राप्त करने वाली तीन भारतीय कंपनियों में से एक है और इसके विकास के सबसे उन्नत चरण में है।
स्वदेशी वैक्सीन का महत्व
इस वैक्सीन के विकास से भारत के लोगों को डेंगू से बचाने में मदद मिलेगी, और अन्य देशों को भी इससे लाभ होगा। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पिछले दो दशकों में डेंगू के वैश्विक मामलों में लगातार वृद्धि हुई है, और 2023 के अंत तक यह बीमारी 129 से अधिक देशों में फैल चुकी होगी।
यह स्वदेशी वैक्सीन भारत की वैक्सीन अनुसंधान और विकास क्षमताओं को भी रेखांकित करती है और डेंगू के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। ICMR और पैनेसिया बायोटेक के इस सहयोग से न केवल भारत के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित किया जाएगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भारत ने डेंगू के खिलाफ महत्वपूर्ण प्रगति की है, जब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और पैनेसिया बायोटेक ने देश की पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण शुरू किया है। ‘डेंगियल’ नामक यह वैक्सीन भारत में एक नई उम्मीद लेकर आई है, जो डेंगू के चारों सीरोटाइप्स के खिलाफ प्रभावी साबित हो सकती है।
इस स्वदेशी वैक्सीन का परीक्षण 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, जिसमें 10,335 से अधिक स्वस्थ वयस्क प्रतिभागी शामिल होंगे। यह वैक्सीन न केवल भारत के लिए, बल्कि अन्य देशों के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकती है, जहां डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं।
इस पहल से भारत की स्वदेशी वैक्सीन अनुसंधान और विकास क्षमताओं की पुष्टि होती है और डेंगू के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह वैक्सीन न केवल डेंगू के मामलों को नियंत्रित करने में मदद करेगी, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी साकार करेगी।
Source- दैनिक जागरण