कूनो नेशनल पार्क में चीतों को अब बड़े बाड़े से खुले जंगल में छोड़ने की स्वीकृति मिल गई है। पार्क में वर्तमान में 12 वयस्क चीते और 12 शावक हैं। तय योजना के अनुसार, शुरुआत में दो वयस्क चीतों को छोड़ा जाएगा, जिसके बाद परिस्थितियों का मूल्यांकन करके अन्य वयस्क चीते और शावकों को जंगल में छोड़ा जाएगा। एक बार जंगल में छोड़ने के बाद चीतों को वापस बाड़े में नहीं लाया जाएगा, और उनकी निगरानी संबंधित वन विभाग द्वारा की जाएगी।
चीता सफारी की तैयारी और गाइड की भर्ती
कूनो नेशनल पार्क में चीता सफारी के लिए भी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। सफारी वाहनों की व्यवस्था की जा रही है और टूरिस्ट गाइड की भर्ती प्रक्रिया जारी है, ताकि पर्यटकों को बेहतर अनुभव दिया जा सके।
प्रक्रिया और निर्णय
चीता संचालन समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेश गोपाल ने बताया कि चीतों को जंगल में छोड़ने की सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं। पार्क के मुख्य वन संरक्षक उत्तम कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि चीतों को छोड़ने के लिए मौसम और अन्य परिस्थितियों का आकलन किया जा रहा है, हालांकि अभी कोई निश्चित तिथि तय नहीं की गई है।
इस योजना को 2-3 अक्टूबर 2024 को आयोजित एक कार्यशाला में अंतिम रूप दिया गया था, जिसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 22 वन मंडल अधिकारियों ने भाग लिया। संचालन समिति ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
चीतों की पहले चरण में जंगल में रिहाई
भारत में चीतों को पुनः बसाने की यह परियोजना 17 सितंबर 2022 से शुरू हुई थी, जब पहली बार अफ्रीकी चीते भारत लाए गए। मार्च 2023 में, चीता पवन और आशा को कूनो के जंगल में पहली बार छोड़ा गया, जिसके बाद चीता गौरव और शौर्य को भी जंगल में स्वतंत्र रूप से छोड़ दिया गया था।
कूनो नेशनल पार्क में चीतों को जंगल में छोड़ने की यह योजना पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके साथ ही चीता सफारी की शुरुआत से पर्यटकों को भी जंगल का वास्तविक अनुभव मिलेगा और क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
कूनो नेशनल पार्क में चीतों को जंगल में छोड़ने का निर्णय भारत में विलुप्त हो चुके चीतों के पुनर्वास और जैव विविधता को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल न केवल वन्यजीव संरक्षण को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। चीता सफारी की शुरुआत से पर्यटकों को रोमांचक अनुभव मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
इस प्रक्रिया में संबंधित वन विभागों की निगरानी महत्वपूर्ण होगी ताकि चीतों के अनुकूल वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। यह परियोजना, वन्यजीव प्रबंधन में नई संभावनाओं को खोलते हुए, पर्यावरण संरक्षण और देश की पारिस्थितिकीय प्रणाली के संतुलन को बहाल करने की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण बनेगी।