केरल में निपाह का खतरा कम, लेकिन लेप्टोस्पायरोसिस का बढ़ता प्रकोप, 121 मौतें

saurabh pandey
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केरल के मलप्पुरम जिले में निपाह वायरस का खतरा अब कम हो गया है। पिछले 42 दिनों में कोई नया मामला सामने नहीं आया है, जिससे राज्य को थोड़ी राहत मिली है। हालांकि, निपाह वायरस के खतरों के बावजूद, राज्य में एक और बड़ी चुनौती उभर कर सामने आई है—लेप्टोस्पायरोसिस

लेप्टोस्पायरोसिस, जिसे “रैट फीवर” के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है जो विशेष रूप से चूहों के मूत्र से फैलता है। जब कोई व्यक्ति इस दूषित मूत्र से संपर्क में आता है, तो बैक्टीरिया उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है, खासकर अगर त्वचा पर कोई घाव हो। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस बीमारी के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं।

केरल में इस साल लेप्टोस्पायरोसिस के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले अगस्त महीने में ही 24 लोगों की जान गई है। वर्तमान में राज्य भर के अस्पतालों में 1,170 से अधिक लोग इस बीमारी का इलाज करा रहे हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान अत्यधिक वर्षा और जलभराव लेप्टोस्पायरोसिस के प्रसार में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। चूहों की बढ़ती संख्या और खराब अपशिष्ट प्रबंधन भी इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने निवारक दवा डॉक्सीसाइक्लिन को राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध कराया है और लोगों को गीली मिट्टी और दूषित पानी से बचने की सलाह दी है। लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द शामिल हैं, जबकि गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई, निम्न रक्तचाप और पीलिया भी हो सकते हैं।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि समय पर उपचार न मिलने पर यह बीमारी गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकती है, जैसे कि गुर्दे की क्षति, मेनिन्जाइटिस, और यकृत की विफलता। स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन को इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि केरल के लोगों को सुरक्षित रखा जा सके।

केरल में निपाह वायरस का खतरा भले ही कम हो गया हो, लेकिन लेप्टोस्पायरोसिस और अन्य जल-जनित बीमारियों का प्रकोप राज्य के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ है। इन बीमारियों से निपटने के लिए समय पर उपचार, स्वच्छता और निवारक उपाय बेहद जरूरी हैं। राज्य और स्थानीय प्रशासन को मिलकर इन खतरनाक बीमारियों से बचाव के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके और स्वास्थ्य संकट से निपटा जा सके।

source- down to earth

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