नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 13 अगस्त 2024 को बेतवा नदी में बिना उपचार के छोड़े जा रहे सीवेज पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। एनजीटी ने जल अधिनियम, 1974 और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के कड़ाई से पालन का निर्देश देते हुए कहा है कि बेतवा में गंदे पानी का उपचार और प्रबंधन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
सीवेज प्रबंधन की दिशा में कदम
विदिशा नगर परिषद ने अदालत में जानकारी साझा की कि गौशाला, चोरघाट और पिलिया नालों से निकलने वाले गंदे पानी का प्रबंधन अमृत 2.0 योजना के तहत किया जाएगा। इसके लिए 22.25 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए परिषद डोर-टू-डोर कलेक्शन सिस्टम चला रही है। त्योहारों के दौरान विशेष अभियान चलाने की भी सिफारिश की गई है ताकि नदी से कचरा इकट्ठा किया जा सके।
एनजीटी के निर्देश
एनजीटी ने घाटों के पास नदी तल से गाद और कचरे को हटाने की सिफारिश की है, ताकि नदी की गहराई को बहाल किया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार, चोरघाट, गौशाला और पिलिया नालों से निकलने वाले सीवेज को रोका या डायवर्ट किया जा रहा है और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में उसका उपचार भी किया जा रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा बेतवा नदी में सीवेज प्रबंधन पर की गई सख्त कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। एनजीटी के निर्देशों के अनुसार, बेतवा नदी में बिना उपचार के छोड़े जा रहे सीवेज को रोकने और उपचारित करने के लिए कठोर उपायों को लागू किया जाएगा।
विदिशा नगर परिषद की ओर से प्रस्तावित उपाय, जैसे कि 22.25 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना और डोर-टू-डोर कलेक्शन सिस्टम, नदी की स्थिति में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। इसके अतिरिक्त, नदी के घाटों से गाद और कचरे को हटाना नदी की गहराई और जल गुणवत्ता को बहाल करने में मदद करेगा।
एनजीटी के निर्देश और लागू किए जा रहे उपाय जल और ठोस कचरे के प्रबंधन में सुधार के लिए एक मार्गदर्शक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यह कार्रवाई न केवल बेतवा नदी के संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि भविष्य में अन्य जल निकायों के लिए भी एक मॉडल बन सकती है।
Source- down to earth