NGT ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन से जवाब तलब किया: नदी सफाई परियोजनाओं में देरी पर चिंता

saurabh pandey
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भारतीय नदियों की सफाई और संरक्षण के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NSGM) पर अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गंभीर सवाल उठाए हैं। हाल ही में, एनजीटी ने परियोजना के निष्पादन में हुई देरी को लेकर मिशन और अन्य संबंधित एजेंसियों से जवाब तलब किया। यह कदम एक समाचार पत्र की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसने परियोजना के व्यय में खासी धीमी गति का दावा किया था।

एनजीटी की सख्ती

एनजीटी (NGT) की अध्यक्षता न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ द्वारा की जा रही इस सुनवाई में यह खुलासा हुआ कि नमामि गंगे परियोजनाओं के तहत 37,550 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। हालांकि, जून 2024 तक केवल 18,033 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं। यह स्थिति परियोजना की प्रगति पर सवाल उठाती है और इसके पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन को भी चुनौती देती है।

परियोजना में देरी की वजह

रिपोर्टों के अनुसार, परियोजना के धीमे क्रियान्वयन के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे प्रशासनिक बाधाएं, धन की कमी, और परियोजना की निगरानी में कमजोरियां। एनजीटी ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि यह खबर पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करती है। विशेष रूप से, यह पर्यावरणीय संरक्षण के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए समर्पित निधियों का सही ढंग से उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

अगली सुनवाई की तैयारी

एनजीटी ने निर्देश दिया है कि प्रतिवादियों को 11 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब प्रस्तुत करना होगा। इस दौरान, एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि परियोजना के प्रबंधन और फंड के इस्तेमाल में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

प्रतिक्रिया और संभावित प्रभाव

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन पर एनजीटी की इस निगरानी से यह स्पष्ट होता है कि नदी सफाई और पर्यावरण संरक्षण के मामलों में सरकारी एजेंसियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि एनजीटी के निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो इससे न केवल परियोजना की सफलता पर असर पड़ सकता है, बल्कि पूरे देश में नदी संरक्षण के प्रयास भी प्रभावित हो सकते हैं।

एनजीटी की यह कार्रवाई नदी सफाई परियोजनाओं की दिशा और प्रभावशीलता पर एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह समय है जब सभी संबंधित एजेंसियों को परियोजना की तेजी से समीक्षा करनी होगी और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहना होगा। स्वच्छ गंगा मिशन और अन्य नदी संरक्षण परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हमारे जल स्रोतों को सुरक्षित और संरक्षित रखा जा सके।

एनजीटी की ओर से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन पर उठाए गए सवाल परियोजना के कार्यान्वयन की दिशा और प्रभावशीलता को लेकर गहरी चिंता को दर्शाते हैं। देरी और धीमे व्यय की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि नदी सफाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

सरकार और संबंधित एजेंसियों को चाहिए कि वे परियोजना के प्रबंधन में पारदर्शिता और तेजी सुनिश्चित करें, ताकि स्वच्छ गंगा मिशन और अन्य नदी संरक्षण पहलें सफल हो सकें। यह समय है कि सभी stakeholders एकजुट होकर कार्य करें और हमारे जल स्रोतों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए आवश्यक उपाय लागू करें।

Source- dainik jagran

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