जालंधर में वर्षों से जमा कचरे का निपटान: एनजीटी ने नगर निगम से मांगा हलफनामा

saurabh pandey
3 Min Read

जालंधर में वर्षों से जमा कचरे का निपटान एक गंभीर समस्या बन गया है, और इस मुद्दे पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने जालंधर नगर निगम के कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वे हलफनामे के माध्यम से यह स्पष्ट करें कि प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कचरे का निपटान कैसे सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही, वर्षों से जमा कचरे के निपटान के लिए समयसीमा निर्धारित करते हुए विस्तृत कार्ययोजना पेश करने का आदेश दिया गया है।

इस मामले में, नगर निगम को आवेदक तेजस्वी मिन्हास की शिकायतों का समाधान करने का भी निर्देश दिया गया है। मिन्हास ने मॉडल टाउन इलाके में कचरे के ढेर को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की थी, जिसके बाद यह मामला एनजीटी के संज्ञान में आया।

20 अगस्त, 2024 को दाखिल रिपोर्ट में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने पुष्टि की कि मॉडल टाउन सहित शहर के विभिन्न स्थानों पर बिना छंटाई के कचरा डंप किया जा रहा है। इस लापरवाही के लिए नगर निगम पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का उल्लंघन करने के कारण साढ़े चार करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

जालंधर नगर निगम ने एनजीटी को जानकारी दी कि शहर में प्रतिदिन 500 टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है, लेकिन इसमें से केवल 120 टन का ही उपचार हो पाता है। बाकी 380 टन कचरा बिना उपचार के रह जाता है, जो शहर में कचरे के ढेर को और बढ़ा देता है। पुराने कचरे को हरियाणा में डंप साइट पर भेजा जा रहा है, लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं हो पा रहा है।

एनजीटी ने नगर निगम से यह भी मांग की है कि हलफनामे में यह स्पष्ट किया जाए कि इस समस्या से निपटने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य में इसके लिए वित्तीय संसाधन कैसे जुटाए जाएंगे। नगर निगम को यह सुनिश्चित करना होगा कि शहर की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

इस मुद्दे पर एनजीटी के हस्तक्षेप से यह स्पष्ट होता है कि जालंधर में कचरे के प्रबंधन को लेकर नगर निगम को तत्काल और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। वर्षों से जमा कचरे का निपटान, साथ ही रोजाना उत्पन्न होने वाले कचरे का उचित प्रबंधन, शहर की स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है। नगर निगम को जल्द से जल्द एक प्रभावी कार्ययोजना बनानी होगी, जिससे कचरे के ढेरों को हटाया जा सके और भविष्य में इस समस्या से बचा जा सके। यह कदम शहर के निवासियों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

Source- down to earth  

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *