प्रयागराज, 20 जुलाई 2024: संगम नगरी प्रयागराज में गंगा का पानी अब पीने योग्य नहीं रहा है, यह निष्कर्ष हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा जारी किया गया है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और सदस्य (विशेषज्ञ) ए. सेंथिल वेल की तीन सदस्यीय पीठ ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। इस रिपोर्ट के आधार पर, एनजीटी ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर 2024 को निर्धारित की है।
इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी ने क्षेत्रीय अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की रिपोर्ट को ध्यान में रखा है। रिपोर्ट के अनुसार, गंगा के पानी में प्रदूषण के स्तर अत्यधिक बढ़ गए हैं, जिससे इसका पीने के योग्य होना असंभव हो गया है। यह जानकारी एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा साझा की गई है, जिन्होंने इसके गंभीर परिणामों की ओर इशारा किया है।
पिछले मंगलवार को हाइब्रिड मोड में हुई सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मुद्दे की गहराई से समीक्षा की। इस संबंध में, 18 जनवरी 2024 को पारित आदेश में मुख्य पीठ ने प्रयागराज में गंगा और यमुना के पानी में अनुपचारित नालों के पानी के निस्तारण के आरोपों की जांच के लिए आदेश दिया था। इस आदेश के तहत, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और जिला मजिस्ट्रेट प्रयागराज के नेतृत्व में एक संयुक्त समिति का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य इस मुद्दे की सत्यता का पता लगाना और आवश्यक कार्रवाई करना है।
सौरभ तिवारी नामक एक अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई के बाद, एनजीटी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया। इस स्थिति में सुधार की आवश्यकता को देखते हुए, एनजीटी ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय तेजी से लागू किए जाएं।
इस स्थिति के चलते, प्रयागराज की जनता और पर्यावरण कार्यकर्ताओं में चिंता का माहौल है। गंगा, जिसे भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है, के पानी की गुणवत्ता में गिरावट ने स्थानीय लोगों को गहरे प्रभावी किया है। इसके अलावा, यह मामला पूरे देश में गंगा की स्वच्छता और जल गुणवत्ता की गंभीरता को उजागर करता है।
इस मुद्दे की निगरानी और समाधान के लिए एनजीटी की आगामी सुनवाई पर सभी की निगाहें होंगी, और यह देखना होगा कि भविष्य में क्या कदम उठाए जाते हैं ताकि गंगा का पानी फिर से पीने योग्य बने और इसकी पवित्रता को बहाल किया जा सके।
source and data – दैनिक जागरण