चीन के झेजियांग म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के जीवाश्म वैज्ञानिकों ने टायरानोसॉरिड डायनासोर की एक नई प्रजाति की खोज की है। यह नई प्रजाति, जिसे ‘एशियाटायरनस ज़ुई’ नाम दिया गया है, टायरानोसॉर परिवार से संबंधित है। इस खोज के परिणाम जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं।
टायरानोसॉरिड डायनासोर बड़े, मांसाहारी जीव होते थे जो दो पैरों पर चलते थे। इन डायनासोरों को उनकी तीखी दांतों और गहरे थूथन के लिए जाना जाता है। नई प्रजाति का नाम प्रसिद्ध चीनी वैज्ञानिक जू जिंग के नाम पर रखा गया है। इससे पहले के शोधों में वैज्ञानिकों ने इस समूह के डायनासोर की कम से कम 30 अलग-अलग प्रजातियों की खोज की है, जो सभी शीर्ष शिकारी थे।
खोज के विवरण:
इस नई प्रजाति के डायनासोर की खोपड़ी, रीढ़ का हिस्सा, पिछले पैर और पूंछ की हड्डियां 2017 में गंझू शहर के एक निर्माण स्थल पर मिलीं। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यह डायनासोर आकार में कियानझोउसॉरस का करीब आधा था, और इसकी खोपड़ी की लंबाई 47.5 सेंटीमीटर थी। पूरी लंबाई का अनुमान साढ़े तीन से चार मीटर के बीच है।
काल और विशेषताएँ:
यह जीवाश्म करीब 6.6 से 7.2 करोड़ साल पुराना है, जो लेट क्रेटेशियस काल का है। इस डायनासोर का थूथन और शरीर बड़े टायरानोसॉर की तुलना में अलग अनुपात में था, जिससे यह अनुमान लगाया गया है कि ‘एशियाटायरनस ज़ुई’ छोटे और तेज जीवों का शिकार करता था। यह दक्षिणी चीन में खोजा गया पहला गहरी थूथन वाला टायरानोसॉर है।
अन्य पहलू:
इस खोज से यह भी संकेत मिलते हैं कि टायरानोसॉरिड डायनासोर अपने बड़े चचेरे भाइयों की तुलना में एक अलग पारिस्थितिक क्षेत्र में रहते थे। शोध के अनुसार, यह खोज उन सिद्धांतों का समर्थन करती है कि टायरानोसॉरिड लारामिडिया से बाद में चले गए थे। लारामिडिया वर्तमान उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित एक द्वीप था, जिसे टायरानोसॉर का उद्गम स्थल माना जाता है।
झेजियांग म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री द्वारा की गई नई डायनासोर प्रजाति की खोज, ‘एशियाटायरनस ज़ुई,’ ने टायरानोसॉरिड डायनासोरों के विकास और पारिस्थितिक तंत्र पर नई रोशनी डाली है। यह खोज न केवल डायनासोरों की विविधता और विकास की हमारी समझ को विस्तार देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि टायरानोसॉरिडों का पारिस्थितिकीय वितरण और उनके शिकार की रणनीतियों में परिवर्तन आया था।
‘एशियाटायरनस ज़ुई’ की खोज दक्षिणी चीन में गहरी थूथन वाले डायनासोरों की उपस्थिति को दर्शाती है और यह साबित करती है कि ये डायनासोर लारामिडिया से और बाद में विकसित हुए थे। इस खोज से न केवल पुरातत्वविदों को नई जानकारियाँ मिली हैं, बल्कि यह भविष्य के अनुसंधानों के लिए भी महत्वपूर्ण आधार प्रदान करती है।
इस नई प्रजाति की विशेषताएँ और काल की जानकारी टायरानोसॉरिडों के विकासात्मक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण योगदान करेंगी, और यह वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण खोज साबित होगी।
Source- down to earth