नागालैंड में बढ़ते प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटने के लिए एक नई और प्रभावशाली पहल की शुरुआत की गई है। नगालैंड के गांवों में कसावा की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे कम्पोस्टेबल बायोप्लास्टिक बैग तैयार किए जाएंगे। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगी, बल्कि स्थानीय किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुधारने का काम करेगी।
इस योजना के तहत, मोकोकचुंग के दस गांवों के किसान अब प्लास्टिक की जगह कसावा स्टार्च से बने बायोप्लास्टिक बैग का उपयोग कर रहे हैं। इस प्रयास के पीछे नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रीच (एनईसीटीएआर) का हाथ है, जो कसावा स्टार्च (मैनिहोट एस्कुलेंटा) की सहायता से कम्पोस्टेबल बायोप्लास्टिक बैग बनाने की कोशिश कर रहा है।
कसावा एक प्रकार का कंद है, जिसमें उच्च मात्रा में स्टार्च होता है। इसकी विशेषता है कि यह कम पानी और उपजाऊ मिट्टी के बिना भी अच्छी फसल देती है और मवेशियों के चारे के रूप में भी इस्तेमाल की जाती है। नागालैंड में एमएसएमई इकोस्टार्च ने कसावा से बायोप्लास्टिक बैग बनाने के लिए मोकोकचुंग में एक सुविधा स्थापित की है, जिसकी मासिक उत्पादन क्षमता तीन टन है।
इस पहल के तहत किसानों को कसावा की खेती के लिए प्रशिक्षण और कृषि सामग्री प्रदान की जा रही है। इसके साथ ही, महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी इस फसल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य स्थानीय कसावा स्टार्च से बायोडिग्रेडेबल बैग और पैकेजिंग सामग्री का निर्माण करना है, जिससे न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।
यह पहल स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ एक ग्रीन सर्कुलर इकॉनमी के निर्माण में योगदान करेगी, जिससे हर गांव को आर्थिक दृष्टि से सशक्त किया जा सकेगा।
नागालैंड में कसावा से बायोप्लास्टिक बैग बनाने की पहल एक सशक्त उदाहरण है कि किस प्रकार स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर पर्यावरण और आर्थिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इस योजना से जहां एक ओर प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय किसानों को भी लाभ होगा।
कसावा की खेती से न केवल बायोडिग्रेडेबल बैग्स का उत्पादन होगा, बल्कि यह स्थानीय रोजगार सृजन और आर्थिक समृद्धि का भी रास्ता खोलेगा।विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की इस पहल का लक्ष्य न केवल एक ग्रीन सर्कुलर इकॉनमी का निर्माण करना है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों को एक स्थायी और पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल भविष्य की ओर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
Source – down to earth