अभूतपूर्व भीषण गर्मी और भारी बारिश का सामना करने के बाद दिल्ली में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इस साल से नई और बहुप्रतीक्षित जलवायु कार्य योजना लागू होने की संभावना है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस योजना का अंतिम मसौदा तैयार है और इसे दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री की मंजूरी का इंतजार है। इसके बाद इसे केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जाएगा।
इस साल दिल्ली भी चरम मौसमी घटनाओं से काफी प्रभावित रही है। 13 मई से लगातार 40 दिनों तक राष्ट्रीय राजधानी में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया। मई के अंत में मुंगेशपुर और नरेला में पारा 49.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। भीषण गर्मी के कारण शहर में 60 लोगों की मौत भी हुई। वहीं 28 जून को हुई मूसलाधार बारिश के कारण 11 लोगों की जान चली गई और संपत्ति को भी काफी नुकसान हुआ।
राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कार्य योजनाएँ
भारत ने 2008 में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) शुरू की थी। इसके बाद राज्य सरकारों को राष्ट्रीय रणनीतियों के तहत जलवायु परिवर्तन पर राज्य स्तरीय कार्य योजना (SAPCC) तैयार करने के लिए कहा गया। योजना का अंतिम मसौदा तैयार है और इसे दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री की मंजूरी का इंतजार है।
नई कार्य योजना की विशेषताएँ
दिल्ली में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नए सिरे से प्रयास किए जा रहे हैं। योजना में कम/अधिक तापमान और कम दिनों में भारी बारिश की घटनाओं को बड़ी चुनौतियों के रूप में बताया गया है। जलवायु परिवर्तन का असर दिल्ली में भीषण गर्मी के रूप में भी दिखाई दे रहा है। नई SAPCC में चरम मौसम की घटनाओं का विश्लेषण शामिल है। पिछली योजना में ऊर्जा, परिवहन, हरित क्षेत्र, शहरी विकास और मौसम ‘पैटर्न’ में अनुमानित बदलावों सहित छह प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
पिछले दशक का विश्लेषण और नई योजना का फोकस
नए SAPCC में पिछले दशक में चरम मौसम की घटनाओं का विश्लेषण शामिल है और इसमें वायु प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैसों के उपाय शामिल हैं। दिल्ली की पिछली जलवायु कार्य योजना 2010-2019 की अवधि के लिए, हितधारकों के साथ सात साल के परामर्श के बाद 2019 में अंतिम रूप दी गई थी, जो अब पुरानी हो चुकी है। नई योजना पर काम 2021 में शुरू हुआ और पहला मसौदा 2022 में पूरा हुआ। बातचीत और योजना को अंतिम रूप देने में गैस उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा, परिवहन मुद्दे, एयर कंडीशनिंग, ‘हीट आइलैंड’ (शहरी क्षेत्र का औसत तापमान ग्रामीण परिवेश से अधिक होना) और कृषि पैटर्न आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
मुख्य चुनौतियाँ और समिति की बैठकें
योजना में ‘हीट वेव/उच्च तापमान और कम दिनों में भारी बारिश’ को प्रमुख चुनौतियों के रूप में उद्धृत किया गया है। इसमें लगभग दो साल लगे। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय संचालन समिति ने मई और जून में दो बैठकों में अंतिम मसौदे पर चर्चा की। नए SAPCC का अनुमान है कि मध्यम उत्सर्जन परिदृश्य (RCP 4.5) में दिल्ली का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस और उच्च उत्सर्जन परिदृश्य (RCP 8.5) में 2.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा।
नई जलवायु कार्य योजना का उद्देश्य दिल्ली को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए ठोस कदम उठाना है। अगर यह योजना लागू होती है, तो यह दिल्ली में पर्यावरणीय सुधार और नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
Source and data –दैनिक जागरण