जलवायु परिवर्तन आज भारत के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। गर्मी के रिकॉर्ड टूटने के साथ-साथ बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, और केरल जैसे राज्यों में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति बिगड़ गई है। मुंबई में भारी बारिश हो रही है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाकों में बारिश की कमी के कारण धान के पौधे सूख रहे हैं।
इस परिदृश्य में, भारत का 2024 का केंद्रीय बजट जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई नए उपाय पेश करता है। इस बजट में पहली बार जलवायु परिवर्तन के हर पहलू को शामिल किया गया है। इसमें पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, पंप स्टोरेज परियोजना, क्रिटिकल मिनरल मिशन, और उन्नत थर्मल पावर प्लांट शामिल हैं। विशेष रूप से, भारतीय लघु और कुटीर उद्योगों में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए 60 पारंपरिक उद्योगों के समूहों में ऊर्जा ऑडिट और स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
इस बजट का उद्देश्य अक्षय ऊर्जा, बुनियादी ढांचे के विकास, और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना है, जिससे भारत को ऊर्जा क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने में मदद मिलेगी। इस साल की गर्मी के रिकॉर्ड को देखते हुए, भारत को संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में अपनी भूमिका निभाने की उम्मीद है, जो 11-22 नवंबर को अजरबैजान और ब्राजील में होने वाला है। भारत का बजट दुनिया के लिए नेतृत्व करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय ऊर्जा आधारित विद्युतीकरण के जरिए 2030 तक भारत के भारी उद्योगों के कार्बन उत्सर्जन को 17 प्रतिशत कम किया जा सकता है। रिपोर्ट में यूरोपीय संघ के साथ कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) के अनुपालन की रणनीतियों की रूपरेखा भी दी गई है। हालांकि, भारत के लघु और कुटीर उद्योगों की भूमिका को बजट में महत्वपूर्ण माना गया है।
इसके अतिरिक्त, छतों पर सौर ऊर्जा पैनल और पंप स्टोरेज परियोजनाओं के माध्यम से ताप विद्युत के कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं। नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति स्वच्छ और हरित ग्रह की दिशा में एक मानक स्थापित कर रही है।
बजट में परमाणु ऊर्जा विकास के लिए छोटे रिएक्टर और लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करने की योजना है। इसके साथ ही, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए बजटीय आवंटन को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है। भारत के भारी उद्योगों को 2030 तक 120 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की आवश्यकता होगी।
अंत में, जलवायु परिवर्तन के कारण फसल का नुकसान उठाने वाले किसानों को राहत देने के लिए सरकार 109 उच्च उपज वाली और मौसमी परिवर्तन सहनशील फसल किस्में जारी करेगी और एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
भारत का 2024 का केंद्रीय बजट जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने और सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। बजट में जलवायु परिवर्तन से संबंधित विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है, जिसमें अक्षय ऊर्जा, पंप स्टोरेज परियोजनाएं, और उन्नत थर्मल पावर प्लांट जैसे उपाय शामिल हैं। यह बजट न केवल पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बल्कि भारत को वैश्विक ऊर्जा नेतृत्व की ओर अग्रसर करने के लिए भी तैयार है।
देश के जलवायु संकट के समाधान के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे कि सौर ऊर्जा पैनल, स्वच्छ ऊर्जा वित्तीय सहायता, और परमाणु ऊर्जा के विकास के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी। इसके अलावा, किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए नई फसल किस्में और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इस बजट का उद्देश्य भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक मानक स्थापित करने के लिए तैयार करना है। आगामी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, और यह बजट देश की तैयारी और नेतृत्व को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। उम्मीद है कि ये उपाय भारत को न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद करेंगे, बल्कि एक स्वच्छ और स्थायी भविष्य की दिशा में भी योगदान देंगे।
Source and data- अमर उजाला