नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से इलेक्ट्रॉनिक कचरे के उत्पादन और निपटान पर एक रिपोर्ट मांगी है। यह निर्देश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ई-कचरा (प्रबंधन) नियम 2022 के पालन में हो रही गड़बड़ियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। एनजीटी ने सीपीसीबी से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि नियमों का पालन न करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
एनजीटी की चेतावनी
हाल ही में एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने 30 अगस्त को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ई-कचरा निपटान से जुड़ी गतिविधियों का विवरण दिया गया था। लेकिन पीठ ने रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत जानकारी की कमी की ओर इशारा किया और सीपीसीबी को छह सप्ताह के भीतर एक नई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
ई-कचरा (प्रबंधन) नियम 2022
ई-कचरा (प्रबंधन) नियम 2022 को 1 अप्रैल 2023 से लागू किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निपटान के लिए एक ठोस व्यवस्था तैयार करना है। इन नियमों के तहत, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर यह जिम्मेदारी है कि वे ई-कचरे के निपटान के लिए उचित व्यवस्था करें और खतरनाक पदार्थों के उपयोग को कम करें। साथ ही सीपीसीबी को इन नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ समन्वय करना होता है।
यूपीपीसीबी पर 25,000 रुपये का जुर्माना
एक अन्य मामले में, एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना एक तूफानी नाले में अनुपचारित औद्योगिक अपशिष्टों के निर्वहन से संबंधित मामले में कार्यवाही के दौरान उचित सहायता न देने और सवालों का जवाब न देने पर लगाया गया। एनजीटी ने यूपीपीसीबी को इस संबंध में निर्देश दिए थे, लेकिन बोर्ड की ओर से उचित उत्तर न मिलने के कारण यह कार्रवाई की गई।
सीपीसीबी की जिम्मेदारी
सीपीसीबी को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह ई-कचरे के उत्पादन, उसके उपचार और उपचार सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करे। इसके साथ ही सीपीसीबी को यह भी सुनिश्चित करना है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ई-कचरा निपटान में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो। पीठ ने सीपीसीबी से प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजन पर भी जोर दिया ताकि ई-कचरा प्रबंधन को लेकर जनसामान्य में जागरूकता फैलाई जा सके।
यह फैसला दर्शाता है कि भारत में ई-कचरा प्रबंधन को लेकर अब सख्ती बढ़ाई जा रही है, जिससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खतरों को कम किया जा सके।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रबंधन पर उठाए गए सख्त कदम यह दर्शाते हैं कि भारत में पर्यावरणीय खतरों को कम करने के प्रयास तेज हो रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को ई-कचरा (प्रबंधन) नियम 2022 के पालन को सख्ती से लागू करने और उल्लंघन करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है। साथ ही, जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से जनसामान्य में ई-कचरे के सही निपटान के प्रति समझ बढ़ाने पर जोर दिया गया है। यह कदम देश में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
Source- amar ujala