21 शहरों में पीएम 10 में 40 प्रतिशत से अधिक की गिरावट: राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की सफलता

saurabh pandey
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भारत में प्रदूषण नियंत्रण और वायु गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत 130 शहरों में वायु गुणवत्ता की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, इन शहरों में से 95 शहरों ने प्रदूषण के स्तर में गिरावट दर्ज की है। इसके साथ ही, 21 शहरों में पीएम 10 प्रदूषण में 40 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई है। यह आंकड़े 2017-18 के स्तर की तुलना में दर्ज किए गए हैं।

पीएम 10 क्या है और इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव?

पीएम 10 का मतलब है वायुमंडल में उपस्थित 10 माइक्रोन या उससे कम व्यास के कण, जो सांस के जरिए फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। अत्यधिक पीएम 10 कण हवा में होने से सांस की बीमारियां, अस्थमा और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ने की संभावना रहती है।

वायु गुणवत्ता में सुधार के प्रमुख शहर

सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, वाराणसी, धनबाद, बरेली, फिरोजाबाद, लखनऊ, कानपुर, आगरा, ग्रेटर मुंबई, ऋषिकेश, और देहरादून जैसे शहरों में पीएम 10 प्रदूषण के स्तर में 40 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। इन शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार होना राष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की सफलता का प्रमाण है।

अन्य शहरों में जैसे कि नोएडा, गोरखपुर, इलाहाबाद, रांची, बेंगलुरु, और हैदराबाद में पीएम 10 के स्तर में 20-30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह भी एक सकारात्मक संकेत है कि देश के अधिकांश बड़े शहर वायु प्रदूषण से निपटने में सफल हो रहे हैं।

एनसीएपी की शुरुआत और इसके लक्ष्यों की दिशा में प्रगति

भारत ने 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य 2017 को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक पीएम 10 के प्रदूषण को 20-30 प्रतिशत तक कम करना था। बाद में इस लक्ष्य को संशोधित कर 2026 तक पीएम 10 के प्रदूषण को 40 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य शहरों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा करना है। इसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, स्थानीय प्रशासन, और औद्योगिक इकाइयों के समन्वय से कई उपाय किए गए हैं, जैसे कि औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण, स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का अधिक उपयोग, और वाहनों से निकलने वाले धुएं पर सख्त निगरानी।

हालांकि 18 शहर ही राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) का अनुपालन कर रहे हैं, लेकिन यह एनसीएपी की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। अगले कुछ वर्षों में इस कार्यक्रम के अंतर्गत अधिक से अधिक शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद की जा रही है, जिससे देश की आबादी स्वस्थ और प्रदूषण-मुक्त हवा में सांस ले सकेगी।

वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, लेकिन राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत किए गए प्रयासों से इस दिशा में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जैसे-जैसे और शहर इस पहल से जुड़ते जाएंगे और प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को अपनाएंगे, देश की वायु गुणवत्ता में और भी सुधार की उम्मीद है। यह सफलता न केवल हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा कदम है।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत 21 शहरों में पीएम 10 के स्तर में 40 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देश की वायु गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता है। यह कार्यक्रम प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए ठोस कदमों का परिणाम है, जिससे न केवल पर्यावरण की रक्षा हो रही है, बल्कि लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हालाँकि कुछ शहरों को अभी भी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों का पालन करने की जरूरत है, लेकिन कुल मिलाकर यह पहल एक बड़ी उपलब्धि है। आने वाले वर्षों में, यह कार्यक्रम देशभर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा, जिससे देश की हवा साफ और लोगों का जीवन बेहतर हो सकेगा।

Source- dainik jagran

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