भारत में मानसून की बारिश का इंतजार हर साल बड़ी उत्सुकता के साथ किया जाता है। यह बारिश केवल मौसम का बदलाव नहीं बल्कि जीवन का नया रंग भी है। जब मानसून की पहली बूंदें धरती पर गिरती हैं, तो यह न केवल फसलों के लिए जीवनदायी होती हैं, बल्कि हर भारतीय के दिल में खुशियों की बौछार भी लाती हैं।
पिछले कुछ दिनों में उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत में भारी बारिश के कारण देश में मानसून की कुल बारिश में कमी 11 प्रतिशत (30 जून तक) से घटकर गुरुवार को केवल तीन प्रतिशत रह गई है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश की कमी गुरुवार को 33 प्रतिशत से घटकर 14 प्रतिशत, मध्य भारत में 14 प्रतिशत से घटकर आठ प्रतिशत और पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत में 13 प्रतिशत से घटकर दो प्रतिशत रह गई है। दक्षिण भारत में मानसून के दौरान अब तक अधिक बारिश (13 प्रतिशत) दर्ज की गई है।
कृषि और आर्थिक प्रभाव
भारत की अधिकांश कृषि मानसून की बारिश पर निर्भर करती है। समय पर और पर्याप्त बारिश से फसलें अच्छी होती हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ती है और देश की खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित होती है। मानसून की बारिश से सिंचाई के साधन, नदियां, और तालाब भर जाते हैं, जो कृषि के लिए अनिवार्य हैं। इसके साथ ही, अच्छी मानसून की बारिश से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी उछाल आता है, क्योंकि किसान अपनी फसलों को अच्छे दामों पर बेच पाते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण
मानसून की बारिश से जंगलों, पहाड़ों और नदियों का सौंदर्य बढ़ जाता है। प्रकृति का हर कण हरा-भरा और जीवंत हो उठता है। पशु-पक्षी भी इस मौसम का आनंद लेते हैं और पर्यावरण संतुलित रहता है। मानसून की बारिश से भूमिगत जल स्तर भी बढ़ता है, जिससे पेड़-पौधों को पर्याप्त जल मिलता है और सूखे की स्थिति कम होती है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
भारत में मानसून का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी बहुत बड़ा है। यह मौसम विभिन्न त्योहारों और उत्सवों का समय होता है। राखी, तीज, और गणेश चतुर्थी जैसे त्यौहार मानसून के दौरान ही मनाए जाते हैं। भारतीय साहित्य, संगीत, और कला में भी मानसून की विशेष जगह है। कई कविताएं, गाने और चित्रकारी मानसून की सुंदरता और उसके विभिन्न रंगों को दर्शाते हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून के पैटर्न में भी बदलाव आया है। कभी-कभी मानसून समय से पहले या बाद में आता है, और कभी-कभी यह अत्यधिक वर्षा या सूखे का कारण बनता है। इससे कृषि और जल प्रबंधन में चुनौतियां उत्पन्न होती हैं। वैज्ञानिक और नीति निर्माताओं को इस बदलते पैटर्न को समझकर उपाय करने की आवश्यकता है।
बाढ़ का कहर
असम के प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में अब तक 17 जानवरों की डूबने से मौत हो चुकी है, जबकि 72 अन्य को बाढ़ के पानी से बचा लिया गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य में बाढ़ की स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन सब कुछ अगले कुछ दिनों के दौरान मौसम की स्थिति पर निर्भर करता है। प्रभावित लोगों को राहत प्रदान की जा रही है और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की मरम्मत के साथ बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास के लिए योजनाएँ तैयार की जा रही हैं। दूसरी ओर, असम में बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 56 हो गई है। 29 जिलों के 16.5 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। राज्य की अधिकांश प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है।
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने पहाड़ों से लेकर मैदानों तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। उत्तराखंड के कुमाऊं में रेड अलर्ट जारी किया गया है। देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और पौड़ी जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट और उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रपयाग जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। कुछ स्थानों पर हल्के से मध्यम भूस्खलन और चट्टान गिरने की संभावना है।
उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश से दिक्कतें बढ़ गई हैं। चमोली में लामबगड़ नाले के उफान पर आने से बदरीनाथ हाईवे करीब दो घंटे तक बाधित रहा। उत्तरकाशी में गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में चीरवासा नाले के उफान पर आने से अस्थाई पुलिया बह गई। इस दौरान दो कांवड़ यात्री भी बह गए। दोनों दिल्ली के बताए जा रहे हैं। पिथौरागढ़ में निजी बाइक और कार से आदि कैलाश गए 35 यात्री तीन दिन से तवाघाट में फंसे हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश में मौसम की स्थिति
जम्मू-कश्मीर में गुरुवार सुबह तेज बारिश हुई, जबकि शुक्रवार को भी बारिश के आसार हैं। कश्मीर के ज्यादातर इलाकों में जम्मू संभाग से ज्यादा गर्मी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश में पिछले चार-पांच दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने शुक्रवार को पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत 10 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जबकि 40 से अधिक जिलों में गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होगी और वज्रपात की भी संभावना है।
बिहार में बारिश की संभावना
बिहार के उत्तर-पश्चिमी और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में गरज-चमक के साथ छिटपुट बारिश की संभावना है। शिवहर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, समस्तीपुर, सुपौल में भारी बारिश का अनुमान है।
देश के विभिन्न हिस्सों में मानसून की बारिश में सुधार हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही बाढ़ और भूस्खलन जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। सरकार और प्रशासन द्वारा राहत कार्यों के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी भी बढ़ाई गई है।
source- दैनिक जागरण
