मानसून ने बढ़ाई ड्रैगनफ्लाई और डैमसेल्फ्लाई की संख्या

saurabh pandey
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इस वर्ष दिल्ली के जैवविविधता पार्कों में ड्रैगनफ्लाई और डैमसेल्फ्लाई की संख्या में वृद्धि ने यह साबित किया है कि मौसम के बदलाव और जलवायु की स्थिति का जीवों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अधिक बारिश और बढ़ती नमी ने इन कीटों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया है, जिससे न केवल उनकी संख्या में वृद्धि हुई है, बल्कि मच्छर जनित बीमारियों के नियंत्रण में भी मदद मिल सकती है। यमुना जैवविविधता पार्क में इन कीटों की संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है। इस वृद्धि का मुख्य कारण इस साल अधिक बारिश और वातावरण में नमी का होना है, जिससे इनकी प्रजनन दर में वृद्धि हुई है।

दिल्ली के अरावली, नीला हौज, तिलपथ घाटी, कमला नेहरू रिज, तुगलकाबाद, कालिंदी, और यमुना जैवविविधता पार्क में 18 से 20 सितंबर के बीच किए गए सर्वे में ड्रैगनफ्लाई और डैमसेल्फ्लाई की संख्या को मापा गया। इस सर्वेक्षण में कई शैक्षणिक संस्थानों के छात्र भी शामिल हुए, जो इन कीटों की प्रजातियों की संख्या का अध्ययन कर रहे थे।

विशेषज्ञों का कहना है कि इन कीटों के लिए नम वातावरण आवश्यक होता है। ये आमतौर पर बारिश के बाद बने अस्थायी जल निकायों के पास घोंसला बनाते हैं। इस वर्ष की बारिश ने इनकी प्रजनन दर में वृद्धि की है, क्योंकि भोजन की कमी नहीं हुई। ड्रैगनफ्लाई और डैमसेल्फ्लाई विशेष प्रकार की जलीय वनस्पतियों पर अंडे देते हैं। एक ड्रैगनफ्लाई प्रतिदिन 30 से 100 मच्छरों का भोजन कर सकती है, जिससे दिल्ली में डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच यह एक राहत की बात है।

सर्वेक्षण के दौरान पता चला कि जबकि कुछ प्रजातियों में कमी आई है, विशेष रूप से वांडरिंग ग्लाइडर और डिच ज्वेल की प्रजातियों में पिछले साल की तुलना में वृद्धि हुई है। इस बदलाव का मुख्य कारण दिल्ली-एनसीआर में लंबे समय तक सक्रिय मानसून को माना जा रहा है, जिसने इनकी प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान किया है।

डॉ. फैयाज खुदसर, जो बायोडायवर्सिटी पार्क के प्रभारी हैं, ने बताया कि यह स्थिति न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। ड्रैगनफ्लाई और डैमसेल्फ्लाई की इस वृद्धि से उम्मीद है कि ये मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद करेंगे, जिससे मच्छर जनित रोगों की घटनाओं में कमी आ सकती है।

इस प्रकार, दिल्ली के जैवविविधता पार्कों में ड्रैगनफ्लाई और डैमसेल्फ्लाई की संख्या में यह वृद्धि एक सुखद संकेत है, जो न केवल पर्यावरण की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन और मानसून के बदलावों का प्रभाव जैव विविधता पर पड़ रहा है।

यह स्थिति हमारे लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो जैव विविधता की सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। ऐसे सर्वेक्षण और अध्ययन हमें यह समझने में मदद करते हैं कि कैसे जलवायु परिवर्तन हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है और किस प्रकार हम इसे संतुलित रख सकते हैं। भविष्य में, इस तरह के प्रयासों को जारी रखना आवश्यक है, ताकि हम अपने पर्यावरण को और भी बेहतर बना सकें और जैव विविधता को बनाए रख सकें।

Source-  amar ujala

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