प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ग्रीन हाइड्रोजन के महत्व पर जोर देते हुए कहा है कि यह भविष्य का ऊर्जा स्रोत नहीं बल्कि वर्तमान में आवश्यक कार्रवाई का हिस्सा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जलवायु परिवर्तन अब केवल भविष्य की चिंता नहीं रह गई है, बल्कि इसके प्रभाव अब स्पष्ट रूप से महसूस किए जा रहे हैं। यह कार्रवाई का समय है, और हमें अपनी रणनीतियों को धरातल पर उतारना होगा।
प्रधानमंत्री ने यह बयान ‘ग्रीन हाइड्रोजन इंडिया 2024’ के दूसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में वीडियो संदेश के माध्यम से दिया। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत के रूप में उभर रहा है, जो उन उद्योगों को डीकार्बोनाइज करने में सहायक हो सकता है जिनका विद्युतीकरण करना मुश्किल है। यह ऊर्जा संक्रमण और स्थिरता के वैश्विक नीति चर्चाओं का एक अहम हिस्सा बन गया है। मोदी ने कहा, “ग्रीन हाइड्रोजन न केवल हमारे ऊर्जा स्रोतों को स्वच्छ बनाएगा, बल्कि यह हमारी ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।”
भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन: एक वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में
प्रधानमंत्री ने ग्रीन हाइड्रोजन को एक नए विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया, जो रिफाइनरी, उर्वरक, स्टील, और भारी-भरकम परिवहन जैसे उद्योगों को डीकार्बोनाइज करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह अधिशेष अक्षय ऊर्जा को संग्रहीत करने का एक बेहतरीन तरीका भी है। मोदी का मानना है कि ग्रीन हाइड्रोजन भारत को विश्व के ऊर्जा मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकता है। उन्होंने कहा, “हम भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना चाहते हैं।”
इसके लिए सरकार ने ‘राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ की शुरुआत की है, जिसके तहत 19,744 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। यह मिशन नवाचार, बुनियादी ढांचे, उद्योग, और निवेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ अनुसंधान और विकास में भी निवेश कर रहा है। इस पहल से ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स और उद्यमियों को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे ग्रीन जॉब इकोसिस्टम को मजबूती मिलेगी।
भारत: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में अग्रणी
मोदी ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संक्रमण वैश्विक चिंताएं हैं, और इसके समाधान भी वैश्विक स्तर पर खोजे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में वृद्धि, लागत में कमी, और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। इसके साथ ही, अनुसंधान और नवाचार में निवेश करने से प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि भारत हरित ऊर्जा पर अपने पेरिस समझौतों की प्रतिज्ञाओं को पूरा करने वाला पहला जी20 देश है। उन्होंने कहा, “भारत ने 2030 के लक्ष्य से 9 साल पहले ही अपनी पेरिस प्रतिज्ञाओं को पूरा कर लिया है। हमारी स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में 300% की वृद्धि हुई है और सौर ऊर्जा क्षमता में 3,000% की वृद्धि हुई है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संदेश स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणास्रोत है। ग्रीन हाइड्रोजन जैसे स्थायी ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ना और उनके उपयोग को बढ़ावा देना आज की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है। भारत इस दिशा में न केवल अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई ऊर्जा तकनीकों की अहमियत पर जोर दिया है। यह सिर्फ भविष्य की योजना नहीं है, बल्कि वर्तमान में कार्रवाई की आवश्यकता है। भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन को एक संभावित समाधान के रूप में अपनाया है, जिससे ऊर्जा स्रोतों का डीकार्बोनाइजेशन किया जा सके और वैश्विक जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिले।
भारत का लक्ष्य स्पष्ट है: ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र बनने और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग से एक स्थायी और हरित भविष्य का निर्माण।
भारत, अपनी पेरिस प्रतिज्ञाओं को समय से पहले पूरा कर, न केवल हरित ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में नवाचार, निवेश और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह पहल न सिर्फ भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी बल्कि वैश्विक स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगी।
Source- amar ujala