जलवायु परिवर्तन के कारण देश में बाढ़ और सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने ‘मिशन मौसम’ की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत वैज्ञानिक बारिश पैदा करने और रोकने में महारत हासिल करेंगे, जिससे देश के मौसम पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन में बड़ा बदलाव आएगा। मिशन के पहले चरण के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है, जो मार्च 2026 तक चलेगा।
मिशन का उद्देश्य
मिशन मौसम का मुख्य उद्देश्य मौसम की सटीक भविष्यवाणी के साथ-साथ कृत्रिम बादलों से बारिश कराना और रोकना है। वैज्ञानिक बिजली गिरने और बादल फटने जैसी घटनाओं पर भी नियंत्रण हासिल करेंगे। इसके लिए 70 रडार, हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटर, 10 विंड प्रोफाइलर और 10 रेडियोमीटर लगाए जाएंगे। भविष्य में सैटेलाइट और एयरक्राफ्ट की संख्या भी बढ़ाई जाएगी ताकि निगरानी क्षमता को और बेहतर किया जा सके।
भारत की मौसम निगरानी क्षमता
वर्तमान में भारत में 39 डॉपलर रडार लगे हुए हैं, जिनमें विंड प्रोफाइलर नहीं हैं। वहीं, चीन और अमेरिका की तुलना में भारत की मौसम निगरानी क्षमता कम है। मिशन मौसम के तहत भारत के वैज्ञानिक पुणे स्थित भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान में क्लाउड चैंबर की स्थापना करेंगे, जहां कृत्रिम बादलों का निर्माण किया जाएगा और बादलों की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाएगा।
कृत्रिम बारिश और तकनीक
मिशन मौसम के तहत वैज्ञानिक बीज डालकर कृत्रिम बारिश कराने की प्रक्रिया पर काम करेंगे। बीज डालना एक प्रक्रिया है जिसमें बादलों में विशेष सामग्री डालकर बारिश कराई जाती है। भविष्य में, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में कृत्रिम बारिश कराकर सूखे से राहत दिलाने की योजना है। वहीं, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बारिश रोकने के उपाय भी किए जाएंगे।
भविष्य की संभावनाएं
इस मिशन के माध्यम से भारत न केवल मौसम की सटीक भविष्यवाणी कर सकेगा बल्कि बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं से निपटने में भी सक्षम होगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले पांच सालों में कृत्रिम बारिश को नियंत्रित करने की तकनीक में काफी सुधार होगा, जिससे मौसम संबंधित आपदाओं को कम किया जा सकेगा।
मिशन मौसम भारत के जलवायु संकट से निपटने और आपदा प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
मिशन मौसम भारत की जलवायु परिवर्तन से निपटने और मौसम संबंधी आपदाओं को नियंत्रित करने की एक ऐतिहासिक पहल है। इसके तहत वैज्ञानिक न केवल बारिश की सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम होंगे, बल्कि कृत्रिम रूप से बारिश कराना और रोकना भी सीखेंगे। बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए यह मिशन अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित होगा। इस परियोजना से भारत की मौसम निगरानी और प्रबंधन क्षमता में सुधार होगा, जिससे देश की आपदा प्रबंधन प्रणाली को मजबूती मिलेगी और लाखों लोगों को इन मौसमी आपदाओं से बचाया जा सकेगा।
Source- dainik jagran