शनिवार सुबह लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उस समय हड़कंप मच गया जब कैंसर और अन्य चिकित्सा जांचों में इस्तेमाल होने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ ‘फ्लोरीन-18’ के लीक होने का अलार्म बज उठा। यह पदार्थ लखनऊ से गुवाहाटी भेजा जा रहा था, लेकिन स्कैनिंग के दौरान कंटेनर से मामूली रिसाव का पता चला।
एयरपोर्ट प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) को बुलाकर 200 मीटर के क्षेत्र को खाली कराया। कार्गो टर्मिनल के इस हिस्से को पूरी तरह सील कर दिया गया, और मौके पर मौजूद पांच कर्मचारियों को तुरंत आइसोलेट कर दिया गया।
करीब पांच घंटे तक चली इस जांच में पाया गया कि रिसाव सुरक्षा मानकों के भीतर था, और इससे कोई बड़ा खतरा नहीं था। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने जांच के बाद स्थिति को सुरक्षित घोषित किया, और आइसोलेट किए गए कर्मचारियों को छोड़ दिया गया। जांच के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि रेडियोधर्मी पदार्थ की पैकिंग और सीलिंग में खामी के कारण यह रिसाव हुआ था।
एयरपोर्ट संचालन सुचारू रूप से जारी:
एयरपोर्ट के मुख्य परिचालन अधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया कि इस घटना के बावजूद एयरपोर्ट का संचालन सुचारू रूप से जारी है और किसी भी प्रकार का बड़ा खतरा नहीं है। हालांकि, प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए पुलिस और दमकल विभाग को भी इस घटना की जानकारी दी थी।
इस घटना से एयरपोर्ट के कार्गो टर्मिनल पर कुछ समय के लिए अफरातफरी का माहौल रहा, लेकिन अधिकारियों की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई के चलते स्थिति पर तुरंत काबू पा लिया गया।
लखनऊ एयरपोर्ट पर फ्लोरीन-18 के मामूली रिसाव की घटना ने प्रशासन की सतर्कता और आपदा प्रबंधन क्षमताओं की प्रभावशीलता को प्रदर्शित किया। त्वरित कार्रवाई और सटीक जांच के चलते किसी बड़े खतरे से बचा गया, और एयरपोर्ट का संचालन प्रभावित नहीं हुआ। इस घटना ने यह भी उजागर किया कि रेडियोधर्मी पदार्थों की पैकिंग और हैंडलिंग में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
Source- अमर उजाला