सार्थक कदम: बड़ी बिल्लियों के संरक्षण पर अब दुनिया मिलकर काम करेगी

saurabh pandey
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बड़ी बिल्लियों यानी शेर, बाघ और चीता जैसे वन्यजीवों के संरक्षण की मुहिम को तेज करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस ने काम शुरू कर दिया है। इसमें दुनिया के उन सभी देशों से संपर्क किया जा रहा है, जहां इस समय बिग कैट की कुल सात प्रजातियों में से कोई एक मौजूद है। अब तक दुनिया के दो दर्जन से अधिक देशों ने एलायंस के साथ मिलकर काम करने पर अपनी सहमति दे दी है।

अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस का मुख्यालय नई दिल्ली में शुरू हो गया है, वन्यजीव संरक्षण के अच्छे कार्यों का ब्योरा जुटाया जा रहा है। खास बात यह है कि पूरी दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां वन्यजीवों में बड़ी बिल्लियों की सात प्रजातियों में से पांच पाई जाती हैं। इनमें शेर, बाघ, चीता, तेंदुआ और हिम तेंदुआ शामिल हैं। बाकी दुनिया में बिग कैट के एक या दो सदस्य ही हैं।

राजधानी दिल्ली स्थित मुख्यालय ने उन सभी 98 देशों से संपर्क किया जहां बिग कैट पाई जाती हैं। जल्द ही सदस्यों का चुनाव होगा, अब तक दो दर्जन से ज्यादा देशों ने सहमति दे दी है।

बिग कैट में आते हैं ये वन्यजीव शेर, बाघ, चीता, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा और जगुआर ये सात वन्य जीव बिग कैट की श्रेणी में आते हैं। फिलहाल प्यूमा और जगुआर को छोड़कर बाकी सभी भारत में पाए जाते हैं। इनमें सितंबर 2022 में नामीबिया और साउथ अफ्रीका से चीता लाया गया है।

इस गठबंधन को बनाने की पहल भारत ने ही की थी, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के मौके पर की थी। साथ ही, दुनिया भर में बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के लिए चल रहे अच्छे कामों का ब्यौरा भी शुरू किया गया है।

माना जा रहा है कि इनके संरक्षण से जुड़े अच्छे कामों को जल्द ही दुनिया के दूसरे देशों के साथ साझा किया जाएगा। गठबंधन बड़ी बिल्लियों से जुड़ी जानकारी जुटाने, उन्हें जोड़ने, क्षमता निर्माण, नेटवर्किंग, सहयोग, वित्तीय के साथ-साथ संसाधन, शोध, तकनीक, शिक्षा और जागरूकता आदि क्षेत्रों में मदद देने की तैयारी कर रहा है।

यह मदद सिर्फ उन देशों तक सीमित नहीं होगी, जहां बड़ी बिल्लियाँ मौजूद हैं, बल्कि उन देशों को भी दी जाएगी, जो अपने देश में बड़ी बिल्लियाँ स्थापित करने के इच्छुक हैं। साथ ही, इस साल चुनाव में जाने से पहले सरकार ने नई दिल्ली में इसका शुभारंभ बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के लिए किया था।

source and data – दैनिक जागरण समाचार पत्र

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