संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 25 देशों के करीब 30 करोड़ लोग मानवीय आपदाओं में फंसे हैं, जिन्हें बाहरी सहायता की बहुत आवश्यकता है।
भारत डोगरा
विश्व के लगभग 25 देशों में मानवीय आपदाएं या संकट विकट रूप ले रहे हैं। इनमें सूडान, इथियोपिया, एरिट्रिया, नाइजीरिया, अंगोला, सोमालिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, यमन, सीरिया, अफगानिस्तान, म्यांमार आदि देश शामिल हैं, जहां 30 करोड़ लोग किसी न किसी प्रकार के मानव संकट का सामना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, इन संकटों से निपटने के लिए बाहरी सहायता की अत्यधिक आवश्यकता है।
2023 का सैन्य बजट
वर्ष 2023 में विश्व का सैन्य बजट 2,400 अरब डॉलर था। वहीं, मानवीय आपदाओं में तुरंत राहत के लिए जो फंड प्रदान किया गया, वह विश्व के सैन्य बजट का केवल 0.8 प्रतिशत था। मानवीय आपदाओं में सहायता की कमी का मुख्य कारण युद्ध व अन्य संघर्ष, प्राकृतिक आपदाएं, जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़, भूकंप, और महामारी जैसी विपत्तियों के कारण है।
संकट की बढ़ती स्थिति
पिछले वर्ष से लेकर अब तक मानवीय आपदाओं की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है, जिसमें कई देश इस समय गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में मानवीय सहायता के लिए आवश्यक राशि एकत्र करने का लक्ष्य 57 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो पिछले वर्ष के आंकड़े से 46 प्रतिशत अधिक है।
बढ़ते संकट के कारण
अधिकांश संकटों के लिए दो कारण सबसे महत्वपूर्ण बताए गए हैं। पहला कारण है युद्ध, गृहयुद्ध व अन्य प्रकार के हिंसात्मक संघर्ष। दूसरा कारण जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का अधिक प्रतिकूल होना व प्राकृतिक आपदाओं का विकट होना, लेकिन इसमें अतिरिक्त एक तीसरा कारण भी ध्यान देने योग्य है और वह है- धीरे-धीरे अन्य प्रकार की विपत्तियां। इनमें से अनेक देशों में आंतरिक विस्थापन व अस्थिरता से उत्पन्न अन्य समस्याएं हैं, जिनका समाधान निकट भविष्य में नहीं हो पा रहा है।
उपलब्ध संसाधन व आवश्यकताएं
2023 के अंत तक, मानवीय संकटों के समाधान के लिए जुटाई गई राशि 24,000 करोड़ डॉलर तक पहुंच गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी स्थिति में सुधार नहीं हो पाया। इसलिए 2024 में मानवीय सहायता के लिए बड़ी संख्या में संसाधनों की आवश्यकता होगी, जिसमें अतिरिक्त प्रयास भी शामिल होंगे।
इस प्रकार, वैश्विक स्तर पर मानवीय संकटों से निपटने के लिए अधिक संसाधनों और सशक्त प्रयासों की आवश्यकता है ताकि इन संकटों का समय रहते समाधान किया जा सके और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान की जा सके।