मैं स्त्री हूँ
मुझे ऐसे ही जानो
पृथ्वी और मेरी तुलना नही है
प्रगति के नाम पृथ्वी का
चीरहरण करने वाले
मुझे तुम्हारी नज़रों से भी परहेज है
दबी आवाज़ में रोती है स्त्री
घर बच जाता है
पृथ्वी धैर्य का पर्याय है
बच जायेगी दुनिया?
अनुराधा मैन्दोला
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