दक्षिण-पश्चिम मानसून बिना किसी बड़ी बाधा के आगे बढ़ रहा है और जल्द ही राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों में पहुंचने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार तक पहुंच चुका है और इन राज्यों में इसके आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं।
उत्तर भारत में मानसून की स्थिति
IMD के अनुसार, मानसून सामान्य गति से अपनी उत्तरी सीमा की ओर बढ़ रहा है। अगले 5-6 दिनों में मानसून पूरे उत्तर प्रदेश को कवर कर लेगा और 27-28 जून तक दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में पहुंचने की उम्मीद है। इस समय सिक्किम, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश हो रही है।
उत्तराखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश की संभावना
अगले तीन से चार दिनों में महाराष्ट्र के शेष हिस्सों और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मानसून पहुंचने की उम्मीद है। उत्तराखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में 26 जून से बारिश की संभावना है। हिमाचल प्रदेश में 28 जून को मानसून पहुंचने की उम्मीद है। 26 जून से प्रदेश के कई इलाकों में बारिश का दौर शुरू हो जाएगा। रविवार को कई इलाकों में मौसम खराब रहने की संभावना है। 24 और 25 जून को धूप खिलने की संभावना है।
लाहौल-स्पीति में बारिश और बर्फबारी
जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति के निचले इलाकों में शनिवार को भी बारिश हुई। रोहतांग के साथ ऊंची चोटियों पर बर्फबारी से ठंड बढ़ गई है। कुल्लू में तीसरे दिन भी बारिश नहीं हुई। बादल छाए रहने के बावजूद बारिश न होने से किसानों की उम्मीदें टूट गई हैं।
उत्तर भारत में लू का अलर्ट
आसमान में बादल छाए रहने से दिल्ली-एनसीआर को शनिवार को भीषण गर्मी से राहत मिली, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के मैदानी राज्यों को अभी दो दिन और भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा। आईएमडी के अनुसार, 25 जून तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में लू चलने की संभावना है। 24 और 25 जून को पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़-दिल्ली में लू चल सकती है। उसके बाद जानलेवा गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है।
मानसून के आगमन से न केवल किसानों की उम्मीदें बढ़ी हैं, बल्कि आम जनता को भी भीषण गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद है। अगले कुछ दिनों में उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में मानसून की बारिश से तापमान में गिरावट आने की संभावना है, जिससे लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी।
मानसून क्या होता है?
मानसून एक मौसमी हवाओं का चक्र है जो वर्ष के अलग-अलग समय पर दिशा बदलता है और इसकी वजह से व्यापक क्षेत्र में भारी बारिश होती है। विशेष रूप से, दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, और पूर्वी एशिया में मानसून का विशेष महत्व है।
मानसून की प्रक्रिया
मानसून मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
दक्षिण-पश्चिम मानसून (Summer Monsoon):
- यह जून से सितंबर के बीच सक्रिय होता है।
- यह हिंद महासागर और अरब सागर से नमी भरी हवाओं को भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर लाता है।
- ये हवाएँ उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बढ़ती हैं, जिससे पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में भारी बारिश होती है।
उत्तर-पूर्व मानसून (Winter Monsoon):
- यह अक्टूबर से दिसंबर के बीच सक्रिय होता है।
- यह हवाएँ मुख्यतः उत्तर-पूर्व दिशा से दक्षिण दिशा की ओर बहती हैं।
- यह दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों और श्रीलंका में बारिश लाती हैं, हालांकि यह दक्षिण-पश्चिम मानसून की तुलना में कम प्रभावशाली होती हैं।
मानसून का महत्व
कृषि:
- भारतीय कृषि मानसून पर अत्यधिक निर्भर है। अच्छी मानसूनी बारिश से फसलें अच्छी होती हैं और किसानों को लाभ होता है।
- धान, गन्ना, चाय, कॉफी, और विभिन्न सब्जियों जैसी फसलों की सिंचाई के लिए मानसूनी बारिश महत्वपूर्ण होती है।
जल संसाधन:
- मानसून जलाशयों, झीलों, नदियों और भूजल स्तर को पुनः भरने में मदद करता है।
- यह पेयजल की उपलब्धता और जल विद्युत उत्पादन के लिए आवश्यक जल की पूर्ति करता है।
पर्यावरण:
- मानसून से वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के जीवन चक्र में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं।
- यह जैव विविधता को बनाए रखने में मदद करता है।
मानसून के प्रभाव
सकारात्मक प्रभाव:
- अच्छी बारिश से फसलों की पैदावार बढ़ती है।
- जलाशयों और नदियों में जलस्तर बढ़ता है जिससे जल संकट कम होता है।
नकारात्मक प्रभाव:
- अत्यधिक बारिश से बाढ़ का खतरा बढ़ता है।
- भूमि कटाव और भूस्खलन जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- जल जनित बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
मानसून भारतीय उपमहाद्वीप और कई अन्य क्षेत्रों के जीवन और अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी उपस्थिति न केवल कृषि और जल संसाधनों के लिए आवश्यक है, बल्कि यह पर्यावरण और जीवमंडल के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, मानसून की चरम स्थितियाँ कभी-कभी विनाशकारी भी हो सकती हैं, इसलिए इसका प्रभावी प्रबंधन और पूर्वानुमान अत्यंत आवश्यक है।
सौरभ पाण्डेय
prakritiwad.com
source- अमर उजाला ब्यूरो