इस सदी के शुरुआती दशकों में जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की रफ्तार धीमी होती जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के बावजूद, प्रदूषण, बढ़ती बीमारियां और अव्यवस्थित जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं। शिकागो के इलिनोइस विश्वविद्यालय, हवाई विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है, जिसके नतीजे अंतरराष्ट्रीय पत्रिका नेचर एजिंग में प्रकाशित हुए हैं।
बीमारियों और प्रदूषण का बढ़ता प्रभाव
अध्ययन के अनुसार, 1990 के बाद से दुनिया में जीवन प्रत्याशा में केवल 6.5% का इजाफा हुआ है, जो अत्यंत धीमी दर मानी जा रही है। बढ़ती गैर-संचारी बीमारियाँ जैसे हृदय रोग, मधुमेह, मोटापा और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं इस गिरावट के लिए ज़िम्मेदार हैं। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी ने भी जीवन प्रत्याशा को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसके अलावा, मलेरिया, डेंगू, टीबी और एड्स जैसी बीमारियाँ भी स्वास्थ्य संकट को बढ़ा रही हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच और सामाजिक असमानताएं
कमज़ोर वर्गों की स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच, गरीबी, और शिक्षा की कमी भी जीवन प्रत्याशा में कमी के प्रमुख कारण हैं। साथ ही, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की वजह से होने वाली प्राकृतिक आपदाएँ भी लोगों के जीवन पर नकारात्मक असर डाल रही हैं।
अस्वास्थ्यकर आदतें और आधुनिक जीवनशैली का प्रभाव
अनियमित दिनचर्या, असंतुलित आहार, धूम्रपान, अत्यधिक शराब सेवन, और शारीरिक निष्क्रियता जीवन प्रत्याशा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि आधुनिक जीवनशैली के कारण लोग पेशेवर कारणों से अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय से अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं, जिससे मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
बढ़ती उम्र में स्वास्थ्य चुनौतियाँ
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता एस.जे. ओलशनस्की के अनुसार, जैसे-जैसे लोग बूढ़े हो रहे हैं, वे पहले से अधिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। बढ़ती उम्र में शरीर का ख्याल न रखना, तनाव, और सामाजिक अलगाव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, जिससे जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की गति धीमी हो रही है।
जीवन प्रत्याशा बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, प्रदूषण नियंत्रण, और जीवनशैली में सुधार अत्यावश्यक हैं। स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम, और मानसिक संतुलन बनाए रखने से जीवन को लंबा और खुशहाल बनाया जा सकता है। इसके साथ ही, समाज और सरकार को मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ानी होगी और जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों पर नियंत्रण पाना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ स्वस्थ और लंबी उम्र जी सकें।
अनियमित जीवनशैली, असंतुलित खानपान और बढ़ते प्रदूषण ने जीवन प्रत्याशा की वृद्धि को धीमा कर दिया है। बढ़ती गैर-संचारी बीमारियाँ, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, और वैश्विक महामारी जैसे कोविड-19 ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुँच, गरीबी, और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाएं भी इस गिरावट में योगदान कर रही हैं।
जीवन प्रत्याशा में सुधार लाने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, संतुलित आहार लेना, व्यायाम को नियमित करना और तनाव प्रबंधन करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, समाज और सरकार को मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुँच और प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को प्राथमिकता देनी होगी। यदि सामूहिक प्रयास किए जाएं, तो हम न केवल जीवन प्रत्याशा बढ़ा सकते हैं, बल्कि लोगों के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार ला सकते हैं।