लैंडस्लाइड, जिसे भूस्खलन भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें भूमि का एक हिस्सा अचानक खिसकता है। यह प्रक्रिया सामान्यतः तब होती है जब धरती की सतह पर स्थित चट्टानें या मिट्टी ढलानों से नीचे की ओर खिसक जाती हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर विक्रम गुप्ता के अनुसार, लैंडस्लाइड तब होता है जब एक लैंडस्केप या पर्वत के निर्माण की प्रक्रिया में ऊर्जा असंतुलित हो जाती है।
प्रोफेसर गुप्ता बताते हैं कि पिछले दशक में चरम मौसम घटनाओं की वृद्धि ने स्लोप्स की स्थिरता को प्रभावित किया है, जिससे लैंडस्लाइड की घटनाएँ बढ़ गई हैं। उच्च ढलानों, कमजोर मिट्टी, और कमजोर वनस्पति वाले क्षेत्रों में जब भारी वर्षा होती है, तो पानी मिट्टी में रिसने के बजाय सतह पर बहने लगता है। यह प्रक्रिया धरातल को कमजोर करती है और लैंडस्लाइड का कारण बनती है।
लैंडस्लाइड के प्रकार
जीबी पंत इंस्टीट्यूट के जेसी कुनियाल के अनुसार, लैंडस्लाइड का आकार और प्रकार विभिन्न हो सकता है। यदि कोई लैंडमास धीरे-धीरे नीचे की ओर खिसकता है तो उसे ‘लैंडस्लिप’ कहते हैं। लेकिन जब यह प्रक्रिया बड़े पैमाने पर होती है, तो इसे ‘लैंडस्लाइड’ कहा जाता है।
जलवायु परिवर्तन और मानवीय हस्तक्षेप
डॉ. गुप्ता का कहना है कि लैंडस्लाइड के दो प्रमुख ट्रिगर हैं: भूकंप और भारी वर्षा। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियाँ भी इन घटनाओं को प्रभावित कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में चरम वर्षा और निर्माण गतिविधियाँ, जैसे कि सड़क निर्माण और खनन, लैंडस्लाइड की घटनाओं को बढ़ा रही हैं।
अर्ली वार्निंग सिस्टम की चुनौतियाँ
लैंडस्लाइड की पूर्वानुमान के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है, लेकिन इसकी सटीकता और प्रभावशीलता में कई चुनौतियाँ हैं। डॉ. गुप्ता बताते हैं कि वर्तमान में लगाए गए अर्ली वार्निंग सिस्टम मुख्यतः वर्षा के आधार पर काम करते हैं और ये साइट स्पेसिफिक होते हैं। इसका मतलब है कि ये सिस्टम केवल उन स्थानों पर प्रभावी होते हैं जहाँ पहले से ज्ञात लैंडस्लाइड जोखिम होता है।
सेंसर बेस्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम, जो लैंडस्लाइड की गति का पूर्वानुमान लगाते हैं, कुछ हद तक सटीक हो सकते हैं। लेकिन इनकी उच्च लागत और आवश्यक तकनीकी संसाधनों के कारण इनका विस्तार सीमित है। सही समय पर और सटीक पूर्वानुमान के लिए अधिक निवेश और तकनीकी विकास की आवश्यकता है।
लैंडस्लाइड एक जटिल और लगातार बदलती हुई प्रक्रिया है, जो प्राकृतिक और मानवीय कारणों से प्रभावित होती है। इसके प्रभावी प्रबंधन और पूर्वानुमान के लिए अधिक शोध और बेहतर तकनीकी समाधान की आवश्यकता है। अर्ली वार्निंग सिस्टम की सटीकता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए निवेश और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि भविष्य में होने वाली लैंडस्लाइड की घटनाओं से सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
source- down to earth