भारत ने लक्ष्य रखा है कि वर्ष 2025 के अंत तक यूरिया उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनना है। इसी दिशा में देश ने अपने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया है। इस कारण यूरिया की मांग और घरेलू उत्पादन के बीच का अंतर अब कम हो रहा है।
भारत ने इस बार करीब 75.8 लाख टन यूरिया का आयात किया है, जो पिछले साल के 91.36 लाख टन से कम है। यूरिया उत्पादन की क्षमता बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया है। नैनो यूरिया कृषि में क्रांति लाने की क्षमता रखता है।
नैनो यूरिया पारंपरिक यूरिया की तुलना में कहीं ज्यादा प्रभावी है। इससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व तेजी से मिलते हैं और उत्पादन में वृद्धि होती है। नैनो यूरिया के उपयोग से खाद की खपत भी कम होती है, जिससे किसानों के लिए लागत कम होती है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। इसके अलावा, नैनो यूरिया का उपयोग कृषि उत्पादन को बढ़ाने में और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में मदद करेगा। इसका उत्पादन बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सरकार का मानना है कि आत्मनिर्भरता से किसानों की आय में वृद्धि होगी और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी। नैनो यूरिया के घरेलू उत्पादन से आयात कम होगा और खाद्य उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
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