हरिद्वार: पांच करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने के बावजूद हरिद्वार जिले की झीलें अमृत सरोवर का रूप नहीं ले सकीं। रखरखाव के अभाव में अमृत सरोवर योजना के तहत बनाए गए तालाबों की हालत खराब हो गई है। कहीं सौंदर्यीकरण के दौरान लगाई गई रेलिंग गायब है तो कहीं राष्ट्रीय ध्वज के लिए बनाया गया स्टैंड टूटा हुआ है। कई झीलें शैवाल और कूड़े से पटी पड़ी हैं। झीलों के आसपास गंदगी का अंबार भी लगा हुआ है। ऐसे में झीलों का उपयोग करना तो दूर, लोग इनके पास भी नहीं जा रहे हैं। इन झीलों पर 5.31 करोड़ रुपये खर्च किए गए। एक झील के निर्माण पर औसतन 7.7 लाख रुपये खर्च हुए।
भगवानपुर ब्लॉक की स्थिति
हरिद्वार जिले के भगवानपुर ब्लॉक के चुड़ियाला में अमृत सरोवर योजना के तहत विकसित तालाब जीर्ण-शीर्ण हालत में है। जल संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना हरिद्वार में पूरी नहीं हो सकी। इस योजना का क्रियान्वयन वन क्षेत्रों में वन विभाग, शहरी क्षेत्रों में शहरी विकास विभाग और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा पंचायती राज, कृषि, उद्यान, मत्स्य आदि विभागों के सहयोग से मनरेगा के तहत किया जाना था।
विभागीय रिपोर्ट
जिला विकास विभाग के अनुसार शहरी विकास विभाग ने हरिद्वार में एक भी झील नहीं बनाई। वन विभाग ने वन क्षेत्र में 11 स्थलों का चयन किया, लेकिन केवल तीन झीलों का ही निर्माण हो सका। ग्राम्य विकास विभाग ने जिले के छह विकास खंडों में 75 अमृत सरोवरों का निर्माण कराया। एक झील के निर्माण में औसतन सात लाख रुपये खर्च हुए, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण कुछ समय बाद अमृत का रस जहर में मिलने लगा। वर्तमान में योजना की सबसे खराब स्थिति भगवानपुर, रुड़की और नारसन विकास खंडों में है। यहां बने सभी 38 अमृत सरोवर उपेक्षा का शिकार हो चुके हैं।
रखरखाव की समस्या
निर्माण के बाद ग्राम्य विकास विभाग ने तालाबों को ग्राम पंचायतों को सौंप दिया। इनके रखरखाव की जिम्मेदारी भी ग्राम पंचायतों की थी, लेकिन संसाधनों की कमी का रोना रोते हुए पंचायतों ने जिम्मेदारी से हाथ खींच लिया। परिणामस्वरूप ग्राम्य विकास विभाग द्वारा विकसित एक भी अमृत सरोवर अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर सका। लक्सर और खानपुर विकास खंडों की अधिकांश झीलों की स्थिति भी बदतर है।
विकास खंड झील व्यय (लाखों रुपये में)
विकास खंड झील की संख्या व्यय (लाखों रुपये में)
- बहादुराबाद 15 149.52
- भगवानपुर 14 107.73
- खानपुर 14 83.63
- लक्सर 13 108.51
- नारसन 14 56.74
- रुड़की 13 25.41
मत्स्य पालन का उपयोग
ग्राम्य विकास विभाग द्वारा निर्मित 75 अमृत सरोवरों में से मत्स्य विभाग द्वारा पट्टा आवंटन के बाद 40 में मत्स्य बीज डाले जा चुके हैं। अन्य झीलों को भी मत्स्य पालन से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
वेध प्रकाश, जिला विकास अधिकारी, हरिद्वार:
“झील अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर सकी। लक्सर और खानपुर विकास खंडों की अधिकांश झीलों की स्थिति भी बदतर है।”
सौरभ पाण्डेय
prakritiwad.com
source – जागरण पड़ताल