नई दिल्ली, 10 जून: एक नवीनतम अंतरराष्ट्रीय शोध ने दुनिया भर में झीलों की सेहत के मामले में चिंता की घंटी बजाई है। इस शोध में दावा किया गया है कि झीलों और तालाबों की खराब सेहत न केवल जैव विविधता को हानि पहुंचाती है, बल्कि यह मानव अस्तित्व के लिए भी खतरनाक हो सकती है।
शोधकर्ता डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने इस शोध के अंतर्गत बताया कि झीलों में ऑक्सीजन की कमी, कचरे के इलाकों की बदबू, पानी के प्रवाह में रुकावट, सफाई की कमी, और जलवायु परिवर्तन के कारण झीलें बीमार हो रही हैं।
इस अंतरराष्ट्रीय शोध में दावा किया गया है कि जैसे हम मानव स्वास्थ्य के लिए रणनीतियाँ बनाते हैं, उसी तरह झीलों के स्वास्थ्य के लिए भी समग्र उपायों की आवश्यकता है। इस शोध में विश्व की 14,27,688 झीलों का स्वास्थ्य मूल्यांकन किया गया है, जिनमें से अधिकतम 10 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र हैं, और इसमें 3043 भारतीय जल संसाधनों का भी समावेश है।
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा, “झीलें जीवित प्रणालियाँ हैं जो ऑक्सीजन की सांस लेने की आवश्यकता है, खुश रहने के लिए साफ पानी, और अंतर्निहित जीवों को जिंदा रखने के लिए संतुलित ऊर्जा और पोषक तत्व की आपूर्ति।”
इस शोध के अनुसार, झीलों की सेहत को नजरअंदाज करने से पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ेगा, जिससे बड़ी जनसंख्या के सामाजिक-आर्थिक जीवन में भूकंप हो सकता है।