जंगलों से घटी दूरी, पशुओं से इंसानों तक तेजी से फैल रहे बैक्टीरिया

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एनसीडीसी की रिपोर्ट में दावा – एक साल में 29 बार आबादी तक पहुंचे जूनोटिक रोग

नई दिल्ली। आबादी क्षेत्र से जंगलों की दूरी जैसे-जैसे कम हो रही है, जानवरों से इंसानों में फैलने वाले संक्रमण यानी जूनोटिक रोगों का दायरा भी बढ़ रहा है। अब तक देश के 29 राज्य इन बीमारियों की चपेट में आए हैं। पहली बार 2023 में एक साल में 29 बार अलग-अलग बैक्टीरिया आबादी तक पहुंचे हैं, जिनमें स्क्रब टाइफस संक्रमण आम रहा। राजस्थान और यूपी में इसके सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।

एनसीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक 2009 से 2023 तक के बीच भारत में 191 बार जूनोटिक बीमारियों का आउटब्रेक हुआ है। जबकि 30 लाख से ज्यादा लोग निम्निंग वायस से चपेट में आए। 2014 से एनसीडीसी के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 36 में से 29 राज्यों में इन बीमारियों का आउटब्रेक हुआ है। जो हर साल लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं। जूनोटिक रोगों का प्रसार और प्रभाव जानने के लिए केंद्र सरकार की एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम से जुटी जानकारी के विवरण में पता चला है कि अगले पांच साल में जूनोटिक बीमारियों के आउटब्रेक में पहले के से तीन गुना बढ़ोतरी हो सकती है।

पांच साल में तीन गुना तक बढ़ा प्रसार

29 राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित – जूनोटिक रोगों को लेकर सबसे ज्यादा 29 राज्य प्रभावित है। इनमें पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, नागालैंड, उत्तराखंड और दादर नगर हवेली में अलग-अलग संक्रमण के मामले दर्ज हुए हैं।

2023 के बीच इनकी संख्या 400 पार हुई है। कोई मामला नहीं था, लेकिन इसके बाद से अब तक 300 मामले सामने आए हैं। पिछले तीन साल में 2016 में अहमदनगर में मिले।

स्क्रब टाइफस के मामले सबसे ज्यादा सामने आए

रिपोर्ट के मुताबिक स्क्रब टाइफस का संक्रमण 23 राज्यों में सबसे ज्यादा फैला है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में इसके मामले 17 बार दर्ज किए गए हैं। सबसे ज्यादा 13 बार इसके संक्रमण ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र को प्रभावित किया है। झारखंड में संक्रमण के 8 मामले दर्ज हुए हैं। पंजाब, ओडिशा, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यह 8 बार फैल चुका है। 7 राज्य ऐसे हैं, जहां स्क्रब टाइफस ने पांच से ज्यादा बार असर दिखाया। सिक्किम, नागालैंड, उड़ीसा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में संक्रमण के कुल 17 बार इसके संक्रमण ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र को प्रभावित किया है।

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